एक जमाने में बेगूसराय बिहार के मॉस्को के नाम से मशहूर था और आज यह जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और मोदी सरकार के मंत्री गिरिराज सिंह के बीच मुक़ाबले को लेकर सुर्खियों में है। बेगूसराय पहुँचने के बाद मेरी मुलाक़ात साहित्य प्रेमी प्रभाकर जी से होती है। वह बताते हैं कि कन्हैया कुमार अपने गाँव के अपने लोगों के पास गए और वोट माँगे। गाँव के एक बुजुर्ग ने सवाल किया कि तुम तो वही हो न! जो अपने पिता की मृत्यु के बाद माथा नहीं मुंडवाए थे? इसपर कन्हैया कुमार ने जवाब दिया कि वह धर्म को नहीं मानते। इसपर उस बुजुर्ग ने कहा कि जाओ, हम भी तुमको अपना बेटा नहीं मानते। तुम्हें अपना नहीं मानते।
बेगूसराय में काँटे की टक्कर, वजूद बचाने की कोशिश में वामपंथ
- बिहार
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- 7 Apr, 2019

बेगूसराय अब मार्क्स और लेनिन में नहीं, महादेव और शैलपुत्री में ज़्यादा विश्वास करता है। बेगूसराय के चुनाव में वामपंथी और भूमिहार समाज अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहा है।