बिहार में जाति जनगणना को लेकर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ़ किया है कि जनगणना की बजाए जाति आधारित गणना होगी। उन्होंने कहा है कि वे ऐसा क़ानूनी जटिलताओं से बचने के लिए कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि इस पर बीजेपी सहित सभी दल सहमत हैं।
मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद कक्ष में यह सर्वदलीय बैठक शाम 4 बजे बुलाई गई। इसमें किस तरीक़े से जाति जनगणना कराई जाए और इसकी रूपरेखा क्या हो, इन सभी विषयों पर सभी राजनीतिक दलों ने अपना पक्ष रखा। बैठक के बाद नीतीश कुमार ने उसमें लिए गए फ़ैसलों की जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि जाति आधारित गणना के सुझाव को लेकर सभी दल सहमत हैं जिसमें बीजेपी भी शामिल है। बता दें कि जाति-आधारित आरक्षण को लेकर बीजेपी को भारी आपत्ति है। नीतीश कुमार ने कहा, 'इसे लागू करने के लिए राज्य कैबिनेट में एक प्रस्ताव पारित किया जाएगा।'
बता दें कि बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों से पूर्व में दो बार सर्वसम्मति से जाति जनगणना कराने का प्रस्ताव पास हो चुका है लेकिन राज्य में जनगणना नहीं कराई जा सकी है। पिछले साल नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक बार नए सिरे से इस मुद्दे को उठाया जिसके बाद नीतीश कुमार भी तेजस्वी के साथ इस मुद्दे पर नज़र आए।
बहरहाल, सर्वदलीय बैठक के बाद सीएम ने कहा है कि जाति गणना का उद्देश्य यह है कि समाज का हर वर्ग ठीक से प्रगति कर सके। उन्होंने विस्तार से नहीं बताया, लेकिन उनके बगल में बैठे राजद के विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने संकेत दिया कि त्योहारों के मौसम के बाद अभ्यास किया जा सकता है।
कर्नाटक, ओडिशा और तेलंगाना जैसे राज्यों ने 'सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण' के नाम पर इसी तरह की गणना की है।
राष्ट्रीय स्तर पर जाति जनगणना तब हुई थी जब कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूपीए सत्ता में था, लेकिन तकनीकी आधार पर डेटा जारी नहीं किया गया था। बीजेपी सरकार ने जाति-आधारित जनगणना कराने से इनकार कर दिया, लेकिन जाति गणना के लिए राज्यों पर छोड़ दिया।
केंद्र की बीजेपी सरकार ने लंबे समय से कहा है कि जाति आधारित जनगणना एक विभाजनकारी प्रक्रिया है। इस मामले में अब तक केंद्र सरकार जाति आधारित जनगणना के पक्ष में नहीं रही है।
पिछले साल लोकसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि भारत सरकार ने जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जाति आधारित आबादी की जनगणना नहीं करने के लिए नीति के रूप में तय किया है।
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