बिहार के चुनाव में 10 लाख नौकरियों का नाम क्या आया, राजनीति का रंग बदल गया। पहले तो जमकर हीला हवाली हुई, मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री दोनों ने दलील दी कि राज्य सरकार के पास इतने लोगों को वेतन देने का भी पैसा नहीं है।

लेकिन बिहार हो, देश का कोई और हिस्सा हो या पूरे देश की बात कर लें, यह सवाल तो उठना ही है कि रोज़गार का मतलब क्या सरकारी नौकरी या प्राइवेट नौकरी ही है या जो लोग अपना रोज़गार करेंगे, उसका श्रेय भी सरकार के ही खाते में जाना है। लॉकडाउन शुरू होते ही जिस तरह लोगों के काम- धंधे ठप हुए और प्राइवेट सेक्टर में लाखों लोगों की नौकरियाँ चली गईं, उसके बाद इस साल अचानक सरकारी नौकरी की महत्ता फिर स्थापित होने लगी है।