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मायावती और सतीश मिश्रा चुनाव लड़ने से क्यों पीछे हटे

बीएसपी सुप्रीमो मायावती और पार्टी महासचिव सतीश मिश्रा ने यूपी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। यह घोषणा खुद सतीश मिश्रा ने आज की। 

सतीश मिश्रा ने आज कहा कि बीएसपी सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी और किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेगी। सतीश मिश्रा की इस घोषणा के साथ ही असद्दुदीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से गठबंधन को लेकर चल रही चर्चा पर भी विराम लग गया। लेकिन इस समय का सबसे महत्वपूर्ण सवाल है कि आखिर मायावती और सतीश मिश्रा चुनाव लड़ने से पीछे क्यों हटे।

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बीएसपी का यूपी में व्यापक जनाधार है। इसके बावजूद मायावती और सतीश मिश्रा के चुनाव नहीं लड़ने से पार्टी काडर में अच्छा संकेत नहीं जाएगा। इसका एक मतलब तो यह निकाला जा रहा है कि दोनों नेता खाली रहेंगे तो पार्टी का अभियान ज्यादा बेहतर ढंग से संचालित करेंगे। लेकिन पार्टी काडर इन तर्कों को कहां मानता है। हालांकि मायावती पहले भी ऐसा कर चुकी हैं लेकिन इस बार हालात अलग तरह के हैं। 

मायावती लंबे समय से चुप थीं और अगर वो आरोप भी लगाती थीं तो कांग्रेस और सपा पर लेकिन बीजेपी के लिए कुछ नहीं कहती थीं। दबी जुबान से उन्होंने सरकार को सुझाव जरूर दिए लेकिन आलोचना नहीं की। लेकिन पिछले 15 दिनों से पार्टी का रंग-ढंग बदल गया है। मायावती और सतीश मिश्रा दोनों जमकर बीजेपी और योगी सरकार पर निशाना साध रहे हैं। मायावती ने सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग को लेकर आशंका भी जता दी है। 

बीएसपी करीब एक महीने से बीएसपी का मंडल सम्मेलन कर रही है। आमतौर पर यह कार्यकर्ता सम्मेलन होता है। लेकिन इसके छोटी सभाओं और रैलियों में बदलने की कोशिश हुई। इनमें मौजूदगी बहुत ज्यादा नहीं हुई। बीएसपी का सबसे आखिरी स्तर का कार्यकर्ता भी झांकने नहीं पहुंचा। सूत्रों के मुताबिक इसकी रिपोर्ट खुद सतीश मिश्रा ने मायावती को दी।


इसी वजह से मायावती ने कल बीएसपी के कई मंडल प्रभारी बदल दिए। कुछ मंडलों के काम मुख्य लीडरशिप की जगह दूसरे और तीसरे स्तर के नेताओं को सौंप दिए गए हैं। बहरहाल, कुल मिलाकर बीएसपी संगठन में कुल मिलाकर बिखराव की स्थिति बनी हुई है। कभी यही पार्टी संगठन के दम पर अपने लक्ष्य तक जा पहुंची थी लेकिन अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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