तेलगु देशम पार्टी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने अचानक अपनी राजनीतिक रणनीति बदल ली है। उनके हालिया बयानों से साफ है कि नायडू ने हिंदुत्व एजेंडा अपना लिया है। उनके बयान कट्टर हिंदूवादी नेता की तरह हो गये हैं। नायडू ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी के धर्म का नाम लेकर उनकी आलोचना की है।
नायडू यह बात ज़ोर देकर कह रहे हैं उनके इष्ट देव वेंकटेश्वर स्वामी हैं और वे हिन्दू हैं, जबकि मुख्यमंत्री ईसाई धर्म में विश्वास रखते हैं और प्रभु ईसा मसीह को मानते हैं। नायडू का आरोप है कि सत्ताधारी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस मंदिरों को निशाना बना रही है और धर्म परिवर्तन को भी बढ़ावा दे रही है।
एसआईटी का गठन
इस आरोप के जवाब में वाईएसआर कांग्रेस ने मंदिरों में आवांछित घटनाओं की जाँच के लिए स्पेशल इंवेस्टिगेटिंग टीम का गठन किया है। सत्ताधारी पार्टी के नेताओं का जवाबी आरोप है कि तेलगु देशम पार्टी ही एक साज़िश के तहत मंदिरों पर हमले करवा रही है।
मंदिरों को लेकर राजनीति उस समय तेज़ हुई तब विजयनगरम ज़िले के रामतीर्थम मंदिर में भगवान श्री राम की एक मूर्ति टूटी पायी गयी। सरकार ने तुरंत मामले की जाँच के आदेश दे दिए, लेकिन चंद्रबाबू नायडू ने यहीं से अपने बयानों को हिंदुत्व के रंग में रंग दिया। नायडू ने यहाँ तक कहा कि न सिर्फ मुख्यमंत्री, बल्कि गृह मंत्री और प्रदेश के डीजीपी भी ईसाई धर्म को मामने वाले हैं।
हिन्दूवादी नेता नायडू
नायडू के रुख से साफ है कि वे अब खुद को धर्मनिरपेक्ष के बजाय हिन्दूवादी नेता के तौर पर पेश करने की कोशिश में जुट गये हैं। जानकार बताते हैं कि आंध्र प्रदेश में जनाधार बढ़ाने की बीजेपी की कोशिशों ने नायडू की नींद खराब की है। बीजेपी आंध्र में टीडीपी के विकल्प के रूप में खड़ी होने की कोशिश में है।
पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में टीडीपी की करारी हार से बीजेपी को आंध्र में अपनी पकड़ मजबूत करने की संभावना नज़र आयी।
बीजेपी ने फ़िल्म स्टार पवन कल्याण की पार्टी जनसेना से गठजोड़ किया है ताकि वह टीडीपी को राजनीतिक तौर पर कमज़ोर कर सके।उत्तर-पूर्वी राज्यों में बीजेपी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नेता सुनील देवधर को बीजेपी ने आंध्र की ज़िम्मेदारी सौंपी हैं। वे टीडीपी और कांग्रेस के जनाधारवाले नेताओं के अलावा बड़े उद्योगपतियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को बीजेपी में लाने की कोशिश में हैं।
नायडू से नाराज़गी
सूत्रों के मुताबिक, नायडू यह मानते हैं कि बीजेपी हिंदुत्व एजेंडा लेकर ही आंध्र में अपनी ताक़त बढ़ाने की कोशिश करेगी। वह सवर्ण जाति के लोगों पर ज़्यादा ध्यान केंद्रित करेगी। बीजेपी को टीडीपी का विकल्प बनने से रोकने और अपनी पार्टी के नेताओं को बीजेपी में जाने से रोकने के लिए चंद्रबाबू नायडू ने राजनीतिक भगवा चोला ओढ़ लिया है।
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नायडू की नयी रणनीति उन्हें फ़ायदा दिलाएगी या नहीं इसका जवाब अगले चुनाव के समय मिलेगा, लेकिन नायडू के नए रूप से उनके पुराने साथी नाराज़ हैं। इन साथियों में वामपंथी नेता और कुछ क्षेत्रीय पार्टियों के मुखिया प्रमुख हैं।
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व भी नायडू के हालिया बयानों से नाराज़ है।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि तिरुपति लोकसभा सीट के लिये कुछ ही दिनों में उपचुनाव होना है। बीजेपी ने इस उपचुनाव में टीडीपी को पछाड़ कर दूसरा स्थान पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना शुरू कर दिया है।
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