पूर्णिमा दास
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हेमंत सोरेन
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क्या आँध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी की मुश्किलें अब बढ़ने वाली हैं? उनकी पार्टी को आँध्र प्रदेश हाई कोर्ट से ज़बरदस्त झटका लगा है। दरअसल, आँध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने एक फ़ैसले को लेकर सोशल मीडिया पर की जा रही आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए सीबीआई जाँच के आदेश दिए हैं। मामला कितना गंभीर है यह सीबीआई जाँच के आदेश से ही साफ़ होता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस के 49 नेताओं और कार्यकर्ताओं को नोटिस जारी किया है। हाई कोर्ट का यह फ़ैसला तब आया है जब दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि आँध्र प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और चार अन्य जज चुनी हुई सरकार के ख़िलाफ़ काम कर रहे हैं। इसी चिट्ठी में रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के अगले होने वाले मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमन्ना के ख़िलाफ़ भी शिकायत की है।
अदालत ने एक वकील द्वारा याचिका दायर करने के बाद सोशल मीडिया पोस्ट का संज्ञान लिया था। अदालत ने राज्य सरकार से इस मामले की जाँच करने के लिए कहा था, लेकिन कोर्ट ने आज कहा कि राज्य पुलिस के आपराधिक जाँच विभाग ने उचित जवाब नहीं दिया। जस्टिस राकेश कुमार और जस्टिस जे उमा देवी सहित उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने कहा कि चूँकि राज्य पुलिस की सीआईडी न्यायपालिका के ख़िलाफ़ अपमानजनक टिप्पणी करने वालों के ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई करने में विफल रही है, इसलिए निष्पक्ष जाँच के लिए मामले को सीबीआई को सौंपा जा रहा है।
उच्च न्यायालय ने 8 अक्टूबर को रजिस्ट्रार जनरल द्वारा दायर एक याचिका पर बहस को पूरा करते हुए कहा था कि सीआईडी ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर न्यायाधीशों के ख़िलाफ़ अपमानजनक पोस्ट की शिकायतों पर कोई क़दम नहीं उठाया है।
बेंच ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह जाँच करे, आरोपियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू करे और आठ हफ़्ते के भीतर उच्च न्यायालय को रिपोर्ट सौंपे। इसने राज्य सरकार से मामले की जाँच में सीबीआई को पूरा सहयोग करने के लिए कहा है।
अपने निर्णयों के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर 'आपत्तिजनक टिप्पणियों' का उल्लेख करते हुए अदालत ने कहा कि यह न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को धूमिल कर रहा है।
'हिंदुस्तान टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार, हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता लक्ष्मी नारायण ने कहा कि अदालत ने देखा था कि सीआईडी ने केवल कुछ सोशल मीडिया पोस्ट करने वालों पर ही एफ़आईआर दर्ज की थी, जबकि राज्य सरकार के ख़िलाफ़ फ़ैसला देने के लिए 90 से अधिक लोगों ने न्यायपालिका के ख़िलाफ़ अपमानजनक टिप्पणी की थी।
सुनवाई के दौरान अन्य लोगों के अलावा विधानसभा अध्यक्ष तमिनमनी सीतारम, उपमुख्यमंत्री नारायण स्वामी, सांसद विजयसाई रेड्डी व एन सुरेश और पूर्व विधायक अमनचि कृष्णमथन द्वारा की गई कथित टिप्पणी को भी हाई कोर्ट की बेंच ने ग़लत माना। इसने कहा कि उन्होंने न्यायपालिका पर सीधा हमला किया।
बता दें कि दो दिन पहले ही ऐसी रिपोर्ट आई है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई. एस जगनमोहन रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस. ए. बोबडे को चिट्ठी लिख कर जस्टिस एन. वी. रमना के ख़िलाफ़ शिकायतें की हैं। आठ पेज की इस चिट्ठी में जगनमोहन रेड्डी ने लिखा है कि जस्टिस रमन्ना आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट की बैठकों और रोस्टर को प्रभावित कर रहे हैं। वे अमरावती भूमि घोटाले से जुड़े मामले को रोस्टर में कुछ चुनिंदा जजों को ही रख रहे हैं और इस तरह न्याय प्रशासन को प्रभावित कर रहे हैं। चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि इन भूमि घोटालों में जस्टिस रमन्ना की बेटियों के भी नाम हैं।
उस चिट्ठी में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि तेलुगु देशम पार्टी से जुड़े मामले कुछ ख़ास जजों को ही सौंप दिए जाते हैं।
जगनमोहन रेड्डी ने यह भी लिखा है कि पूर्व एडवोकेट जनरल दम्मलपति श्रीनिवास पर ज़मीन के लेनदेन को लेकर जाँच का आदेश दिया गया था, एंटी करप्शन ब्यूरो ने उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने को कहा था। लेकिन हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी।
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