9 नवंबर की तारीख ऐतिहासिक तारीख बन गयी। तीन ऐसी घटनाएं हुईं जिन्हें हमेशा याद रखा जाएगा। पहली घटना है सुप्रीम कोर्ट से निर्देश के बाद निर्वाचन आयोग को रामपुर में उपचुनाव का कार्यक्रम रद्द करना पड़ा है। दूसरी घटना में पीएमएलए कोर्ट ने संजय राउत पर ज्यादती की बात स्वीकार की और उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया, जिसे मुंबई हाईकोर्ट ने बरकरार रखा और राउत जेल से रिहा हो गये।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला-ए-आज़म, राउत की रिहाई और ‘कमल’ की प्रतिष्ठा
- विश्लेषण
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- 10 Nov, 2022

संजय राउत की जमानत के मामले में पीएमएलए कोर्ट की जांच एजेंसी ईडी को लेकर सख्त टिप्पणी और इसी तरह आजम खान के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद रामपुर सीट पर चुनाव कार्यक्रम रद्द होना, ये दोनों ही मामले बेहद अहम तो हैं ही लेकिन इस सवाल को भी मजबूती से खड़ा करते हैं कि क्या आज़म और संजय राउत को राजनीतिक बदले का शिकार बनाया गया।
तीसरी घटना है जी-20 के आधिकारिक लोगो में बीजेपी के चुनाव चिन्ह कमल का दर्शाया जाना, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र की अस्मिता, विरासत और सांस्कृतिक-आध्यात्मिक प्रतीक के रूप में पेश किया।
आजम खां और संजय राउत से जुड़े दो अदालती आदेशों में विपक्ष पर सेलेक्टिव तरीके से सत्ताधारी दल के हमलावर रहने की पुष्टि हुई है। जबकि, तीसरी घटना ऐसी है जिसमें प्रधानमंत्री ने निर्वाचन आयोग के समक्ष ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि बीजेपी के लिए बतौर चुनाव चिन्ह ‘कमल’ को जारी रखने पर पुनर्विचार करना चाहिए।