loader

नूपुर-महुआ से बीजेपी-टीएमसी की दिखावे की दूरी के क्या हैं मायने?

नूपुर शर्मा के बाद अब महुआ मोइत्रा ‘फ्रिंज एलिमेंट’ हो चुकी हैं। थोड़ा फर्क जरूर है लेकिन मूल रूप से दोनों एक जैसे उदाहरण हैं। नूपुर शर्मा बीजेपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता थीं तो महुआ मित्रा तृणमूल कांग्रेस की सांसद हैं और विभिन्न अवसरों पर पार्टी की आवाज़ भी रही हैं।

नूपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद के बारे में टिप्पणी की थी जबकि महुआ मोइत्रा ने मां काली के बारे में टिप्पणी की है। बीजेपी और टीएमसी दोनों ने अपनी-अपनी महिला नेताओं के बयानों से पल्ला झाड़ लिया।

बीजेपी ने नूपुर शर्मा पर एक्शन तब लिया जब दुनिया के इस्लामिक देशों ने प्रतिक्रिया व्यक्त की। एक्शन इस रूप में लिया कि उससे नूपुर शर्मा को कोई नुकसान ना हो। सच यह है कि बीजेपी के कार्यकर्ता, नेता, शुभचिंतक सभी नूपुर शर्मा के साथ रहे हैं। ये लोग ट्विटर, यूट्यूब, फेसबुक तमाम सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर नूपुर शर्मा का समर्थन करने आगे-आगे नज़र आए हैं। 

ताज़ा ख़बरें

तृणमूल कांग्रेस ने महुआ मोइत्रा पर कोई एक्शन तो नहीं लिया है लेकिन ममता बनर्जी और सौगत राय ने स्पष्ट कर दिया है कि टीएमसी का उस बयान से कोई लेना देना नहीं है। मतलब यह कि महुआ मोइत्रा अपने बयान का नतीजा खुद भुगतें या अपना बचाव खुद करें। तृणमूल कांग्रेस के नेता कार्यकर्ता उस शिद्दत के साथ महुआ मोइत्रा के पक्ष में खड़े नहीं हुए हैं जैसे नूपुर शर्मा के पक्ष में भाजपा के समर्थक लामबंद हुए थे। यह फर्क देश की राजनीतिक फिजां और राजनीतिक जरूरतों के अनुरूप है। 

गिरफ्तारी से कब तक बची रहेंगी नूपुर शर्मा?

बीजेपी ने नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी की मांग की लगातार अनदेखी की है। वहीं नूपुर शर्मा के बयान के विरोध में जो नफ़रती बयान सामने आए हैं उन मामलों में मुस्लिम धर्मगुरू मौलाना मुफ्ती नदीम की गिरफ्तारी हुई है या फिर नूपुर शर्मा की हेट स्पीच को ट्विटर पर फैलाने वाले पत्रकार मोहम्मद जुबैर गिरफ्तार हुए हैं। 

Mahua Moitra on goddess Kaali Controversy - Satya Hindi

गिरफ्तारी से बचने की कोशिश में नूपुर शर्मा या फिर उन्हें बचाने की कोशिशों में जुटी बीजेपी कब तक सफल रहती है इस पर देश की नज़र है। सुप्रीम कोर्ट के तेवर देखकर नूपुर ने उस याचिका को वापस ले लिया जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ देशभर में दर्ज हुए एफआईआर की एक साथ सुनवाई की मांग कर रही थीं। सुप्रीम कोर्ट के तेवर के खिलाफ नूपुर समर्थकों ने देशभर में मुहिम छेड़ दी। #सुप्रीम_कोठा, #IslamiccourtinIndia जैसे हैश टैग चलाए। टिप्पणी करने वाले जस्टिस भी ट्रोल हुए। 

देश के 7 राज्यों में नूपुर शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज हैं। कोलकाता पुलिस की ओर से नूपुर के लिए लुकआउट नोटिस के बाद नूपुर की गिरफ्तारी निश्चित लगती है। अगर ऐसा होता है तो यह सत्ताधारी दल की उन तमाम कोशिशों की हार होगी जिसमें वे नूपुर शर्मा को लगातार कानूनी शिकंजे से बचाने की कोशिशें कर रहे हैं।

Mahua Moitra on goddess Kaali Controversy - Satya Hindi

महुआ पर भी लटक रही है तलवार

महुआ मोइत्रा के खिलाफ भी पश्चिम बंगाल के अलग-अलग हिस्सों में एफआईआर दर्ज कराए गये हैं। सवाल यह है कि क्या जिस तरह से नूपुर शर्मा के खिलाफ कोलकाता पुलिस सक्रिय हुई और लुकआउट नोटिस तक जारी कर दिया, क्या वही तेवर महुआ मोइत्रा के खिलाफ भी कोलकाता पुलिस अपनाएगी? अगर नहीं, तो ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी सरकार भी उसी रास्ते पर चलती हुई दिखेगी जिस रास्ते पर केंद्र में बीजेपी की सरकार चलती दिख रही है।

चाहे नूपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी हो या महुआ मोइत्रा की या फिर मां काली की बहुविवादित तस्वीर- अगर ये गलत हैं तो इन्हें मुख्य धारा की मीडिया समेत विभिन्न सोशल प्लेटफॉर्म पर क्यों दिखाए गये? यह सवाल सिर्फ मीडिया से नहीं है।
अगर मीडिया में विवादित टिप्पणी या तस्वीर दिखाई गयीं तो इस पर केंद्र और राज्य की सरकारों ने रोक क्यों नहीं लगायी और कार्रवाई क्यों नहीं की? बड़े-बड़े नेता, मंत्री समेत विभिन्न राजनीतिक दलों को भी इस सवाल का जवाब देना होगा कि जिस तथ्य को वे स्वयं गलत मान रहे थे उन्हें प्रचारित या प्रसारित क्यों कर रहे थे? अगर कर रहे थे तो क्यों नहीं उनके विरुद्ध भी समान रूप से नफरत फैलाने के जुर्म में कानूनी कार्रवाई की जाए?

पूर्वाग्रह से ग्रसित हो चला है देश!

ऐसा लगता है कि समूचा देश पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर हिस्सों में बंट गया है। नूपुर शर्मा पर निलंबन की कार्रवाई तो होती है लेकिन कानूनी कार्रवाई से उन्हें बचा लिया जाता है। महुआ मोइत्रा को टीएमसी गलत तो ठहराती हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं करती। कानूनी कार्रवाई का भी इंतज़ार है। देश के विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता जो देश के अलग-अलग हिस्सों में कहीं न कहीं सत्ताधारी दल के कार्यकर्ता भी हैं, बेखौफ हैं। 

नफरत के खिलाफ एकजुट होने का वे दिखावा तो कर रहे हैं लेकिन खुद नफरती सामग्रियों के प्रचार का वाहक भी बने हुए हैं।

विश्लेषण से और खबरें

नजीर तो सत्ताधारी दल को ही पेश करनी होगी। बीजेपी की केंद्र में सरकार है और देश के ज्यादातर राज्यों में उनकी डबल इंजन की सरकार है। इसलिए उसकी जिम्मेदारी सबसे ज्यादा है। मगर, बीजेपी ऐसा संदेश दे रही है कि उनके राज्य में बीजेपी के नेता और कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई हो ही नहीं सकती। 

अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा, कपिल मिश्रा, दिलीप घोष, तेजस्वी सूर्या, ईश्वरप्पा जैसे नेताओं पर कभी कार्रवाई नहीं हुई। नूपुर शर्मा को गिरफ्तार नहीं करने की जैसे कसम खा ली गयी हो। ऐसे में जो गिरफ्तारियां नफरती टिप्पणियों के लिए हो रही हैं उसे पक्षपातपूर्ण ही कहा जाएगा। 

टीएमसी उसी राह पर चले और महुआ मोइत्रा पर दर्ज मामलों पर उन्हें बचाने का ही रुख अपनाए तो बीजेपी किस मुंह से इसका विरोध कर पाएगी?

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
प्रेम कुमार
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

विश्लेषण से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें