संघ प्रशासित-क्षेत्र जम्मू और कश्मीर में हुए ज़िला विकास परिषद के चुनाव नतीजे कई सवाल खड़े करते हैं। भारतीय जनता पार्टी भले ही यह दावा करे कि 75 सीटों के साथ वह सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, सच यह है कि हिन्दू-बहुल और पारंपरिक गढ़ जम्मू में भी उसे सिर्फ 37.3 प्रतिशत वोट ही मिले हैं, जो बहुमत से काफी कम है।
डीडीसी चुनाव : राष्ट्रवाद, विकास के बीजेपी के नारे नाकाम?
- विश्लेषण
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- 25 Dec, 2020

भारतीय जनता पार्टी भले ही यह दावा करे कि 75 सीटों के साथ वह सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, सच यह है कि हिन्दू-बहुल और पारंपरिक गढ़ जम्मू में भी उसे सिर्फ 37.3 प्रतिशत वोट ही मिले हैं, जो बहुमत से काफी कम है।
क्या हुआ?
दूसरी ओर, बीजेपी के नेता भले ही गाल बजाते रहें और दावे करते रहें कि जनता ने कश्मीर के मुद्दे पर 5 अगस्त, 2019, के फ़ैसले पर मुहर लगा दी है, वे इस सच से इनकार नहीं कर सकते कि राष्ट्रवाद की बात करने वाली इस पार्टी को कश्मीर घाटी में सिर्फ 4.2 प्रतिशत वोट हासिल हुए हैं।
याद दिला दें कि नरेंद्र मोदी सरकार ने बीते साल संसद से एक प्रस्ताव आम सहमति से पारित करवा कर तत्कालीन राज्य जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को ख़त्म कर दिया। संविधान के अनुच्छेद 370 में अहम बदलाव किया गया और अनुच्छेद 35 'ए' को ख़त्म कर दिया गया। राज्य में सुरक्षा बलों के लगभग एक लाख जवानों को तैनात कर दिया गया, पूरे राज्य में लॉकडाउन लगा दिया गया और तमाम राजनीतिक दलों के लगभग सभी नेताओं को गिरफ़्तार किया गया या नज़रबंद कर दिया गया।