यूक्रेन पर हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र में रूस की निंदा करने से इनकार करने से नई दिल्ली-वाशिंगटन रिश्ते में तनाव आ चुका है। इस तनाव का फ़ायदा उठा कर अमेरिका की भारत-विरोधी लॉबी वहां की सरकार पर कितना दबाव डाल पाती है या जो बाइडन प्रशासन किस बहाने भारत को मिल रही छूट को कब तक चालू रख सकता है, यह आने वाले समय में मालूम हो जाएगा। पर यह साफ़ है कि बाइडन प्रशासन में दोनों सरकारों के बीच जो दोस्ती और खुशनुमा माहौल बना था, उसे झटका लगा है। यह दोनों देशों के बीच के रिश्तों को निकट भविष्य में प्रभावित कर सकता है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।
यूक्रेन युद्ध से क्यों हो रही है भारत की अंतरराष्ट्रीय मंचों पर किरकिरी?
- विश्लेषण
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- 5 Mar, 2022

यूक्रेन संकट पर क्या भारत का रूख साफ़ नहीं है? और क्या संयुक्त राष्ट्र में रूस की निंदा करने वाले प्रस्ताव से खुद को अलग करने के कारण भारत असहज स्थिति में है? या गुट निरपेक्षता का रास्ता ही सबसे उपयुक्त है?
संयुक्त राष्ट्र में रूस की निंदा से जुड़े एक के बाद एक तीन प्रस्तावों पर भारत ने मतदान में भाग नहीं लिया। पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव, उसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभभा का विशेष सत्र बुलाने से जुड़े प्रस्ताव और फिर महासभा के प्रस्ताव पर भारत वोटिंग से दूर रहा। भारत के प्रतिनिधि मतदान के समय वहां मौजूद थे, लेकिन हाथ उस समय उठाया जब यह कहा गया कि कौन- कौन देश मतदान में भाग नहीं ले रहे हैं।