आगामी लोकसभा चुनाव में दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच भले ही गठबंधन के कयास लग रहे हों लेकिन गठबंधन की राह आसान नहीं है। कांग्रेस की दिल्ली इकाई ने आलाकमान को साफ़-साफ़ बता दिया है कि अगर लोकसभा चुनाव में आप के साथ चुनावी तालमेल हुआ तो पार्टी का भट्ठा बैठना तय है। प्रदेश कमेटी के बाग़ी तेवरों को देखते हुए कांग्रेस आप के साथ चुनावी गठबंधन से परहेज़ ही करेगी। दिल्ली विधानसभा में 1984 की हिंसा को लेकर पास हुए प्रस्ताव के बाद गठबंधन की संभावनाएँ और भी कम हो गई हैं।
आप कहे - आ रे, आ रे, आ रे, कांग्रेस कहे - ना रे, ना रे, ना रे
- विश्लेषण
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- 27 Jan, 2019

आगामी लोकसभा चुनाव में दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच भले ही गठबंधन के कयास लग रहे हों लेकिन कांग्रेस गठबंधन करना नहीं चाहती है। तो क्या कांग्रेस इतनी मज़बूत हो गई है या आप कमज़ोर?
कांग्रेसी सूत्रों के मुताबिक़ दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को साफ़-साफ़ बता दिया है कि लोकसभा में आप के साथ गठबंधन होने की स्थिति में पार्टी में बग़ावत हो सकती है। प्रदेश कमेटी आम आदमी पार्टी के साथ किसी भी तरह का चुनावी गठबंधन नहीं चाहती। प्रदेश कमेटी का मानना है कि इससे कांग्रेस को देशभर में नुक़सान होने की संभावना ज़्यादा है। मामला सिर्फ़ दिल्ली की सात लोकसभा सीटों का नहीं है बल्कि पार्टी की छवि का सवाल ज़्यादा महत्वपूर्ण है। प्रदेश कमेटी का आकलन है कि अपने दम पर चुनाव लड़कर भी कांग्रेस 3-4 सीटें जीत सकती है। इस लिहाज़ से प्रदेश कमेटी को आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने की कोई तुक नजर नहीं आती।
ग़ौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों लोकसभा सीटें बीजेपी ने जीती थी। सातों सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे। कांग्रेस का पूरी तरह सफ़ाया हो गया था। अगर वोट प्रतिशत की बात करें तो बीजेपी को 46.40 फ़ीसदी वोट मिले थे जबकि कांग्रेस 15.10 प्रतिशत वोट पर सिमट गई थी। आम आदमी पार्टी को 32.9% वोट मिले थे। पिछले लोकसभा चुनाव के आँकड़ों के हिसाब से देखें तो सीटों के बँटवारे में कांग्रेस की बारगेनिंग पावर बहुत कम है।