भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड एक माह बाद रिटायर हो रहे हैं. भूटान के एक लॉ कॉलेज के “दीक्षा-समारोह” में बोलते हुए उन्होंने कहा कि उनकी चिंता है कि इतिहास उनके योगदान को कैसे आंकेगा. “मैने पूरी निष्ठा से देश की सेवा की है. मुझे इस बात की उत्सुकता है कि इतिहास मेरे कार्यकाल का मूल्यांकन कैसे करेगा. मैं दो साल तक देश की सेवा करने के बाद इस नवम्बर में सीजेआई के रूप में पद छोडूंगा. मेरा मन भविष्य और अतीत के बारे में आशंकाओं से घिरा है. मैं सोचता हूँ कि क्या मैंने सब पा लिया जिसे पाने का लक्ष्य रखा था? इतिहास मेरे कार्यकाल का मूल्यांकन कैसे करेगा? क्या मैं कुछ अलग कर सकता था? मैं जजों और भावी पीढ़ी के कानूनी पेशवरों के लिए क्या विरासत छोडूंगा. इनमें से ज्यादा प्रश्नों के उत्तर मेरे नियंत्रण से बाहर हैं. शायद मुझे कुछ सवालों के जवाब कभी नहीं मिलेंगें”.
भारत के चीफ जस्टिस चंद्रचूड की चिंता का तर्कशास्त्र?
- विश्लेषण
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- 12 Oct, 2024
भारत के मुख्य न्यायधीश की कुल चिन्ता यह है कि उनके रिटायरमेंट के बाद इतिहास उन्हें कैसे याद रखेगा। यह अच्छी बात है कि वो ऐसा सोच रहे हैं। शायद उन्हें अंदाजा हो गया है कि भारतीय न्याय पालिका की विश्वसनीयता दांव पर लगी हुई है। उसके क्षरण के लिए अकेले एक ही सीजेआई को जिम्मेदार नहीं ठहाराया जा सकता। भारतीय न्यायपालिका के जजों को शायद रह रह कर अयोध्या में राम जन्मभूमि की जमीन का फैसला, जकिया जाफरी को इंसाफ न मिलने का फैसला, सबरीमला का जजमेंट जैसे अनगिनत फैसले याद आते होंगे। वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह क्या कहना चाहते हैं, पढ़ियेः
