नया साल बिहार में विधान सभा के चुनाव का साल होगा। वैसे तो तय समय के अनुसार चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होंगे, लेकिन लगभग सभी पार्टियां अभी से मतदाताओं को रिझाने में लग गयी हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों “प्रगति यात्रा” पर निकले हैं। वो हर जिले में जाकर सैकड़ों करोड़ की नयी योजनाओं की घोषणा कर रहे हैं। 20 साल तक मुख्य मंत्री रहने के बाद भी वो जो नहीं कर पाए वो करने की उम्मीद जगा रहे हैं। माना जा रहा है कि वो बी जे पी के मुकाबले अपनी जमीन मजबूत करने की कोशिश भी कर रहे हैं, ताकि विधानसभा के लिए टिकटों के बंटवारे में उनकी पार्टी को बी जे पी की शर्तों के के आगे झुकना नहीं पड़े।
विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव “कार्यकर्ता दर्शन सह संवाद” यात्रा पर हैं। बिहार की राजनीति में नए नए उतरे प्रशांत किशोर “जन सुराज यात्रा” पूरी करके नयी पार्टी बनाने के बाद फिर नयी यात्रा की तैयारी कर रहे हैं। बिहार विधानसभा में इस समय सबसे बड़ी पार्टी बी जे पी सदस्यता अभियान के ज़रिए मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश कर रही है । इन सारे अभियानों का मूल मकसद एक ही नजर आता है, मतदाताओं के मूड को समझना और उन्हें अपने पाले में लाने के लिए सटीक रणनीति तैयार करना ।एक मकसद जीतने वाले उम्मीदवार की तलाश करना भी है । सभी पार्टियां ये समझ चुकी हैं कि बिहार के मतदाता भीतर ही भीतर सुलग रहे हैं, इसलिए अगले विधान सभा चुनाव में राजनीति करवट बदल सकती हैं।