मोहम्मद ज़ुबैर का 24 दिन का जेल वाला संघर्ष याद रखा जाएगा। इस संघर्ष से (व्यक्ति नहीं) खुद न्यायपालिका ने सबक लिया है। सुप्रीम अदालत ने महसूस किया कि एक ही मामले में अलग-अलग मामले दर्ज कराकर किसी व्यक्ति को जेल से नहीं निकलने देने के लिए बुने जाने वाले जाल को समझना होगा। यही वजह है कि न सिर्फ यूपी में दर्ज सभी छह मामलों की जांच दिल्ली पुलिस को इकट्ठे सौंपी गयी है बल्कि अगर इसी आधार पर मो. ज़ुबैर के खिलाफ कोई और केस दर्ज होगा तो उसकी भी जांच इकट्ठे होगी।