आरएसएस-बीजेपी की सोच देश हित में नहीं है। जब भारत आज़ाद हुआ तब एससी-एसटी-ओबीसी समुदाय के लोग न तो संविधान सभा में प्रभावी थे और न ही मंत्रिमंडल में। ओबीसी वर्ग तो बना ही नहीं था। इनकी आवाज़ें जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गाँधी, सरदार बल्लभ भाई पटेल, पंजाब राव देशमुख जैसे लोग उठाया करते थे, जो लंदन या अमेरिका से पढ़कर लौटे थे और बहुत संपन्न परिवारों से थे। उन्हें देश की चिंता थी और इस पर गंभीरता से विचार करते थे कि देश में एक बड़ी आबादी शासन-सत्ता और सुख-सुविधाओं से वंचित क्यों रह गई।
एससी, एसटी व ओबीसी के साथ धोखा कर रही है मोदी सरकार
- विश्लेषण
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- प्रीति सिंह
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- 13 Feb, 2019

प्रीति सिंह
केंद्र की नीयत साफ़ होती तो वह अध्यादेश लाती कि टीचिंग व नॉन-टीचिंग स्टाफ़ की भर्ती में 49.5 प्रतिशत आरक्षण लागू हो, लेकिन इसके बजाए वह सिर्फ़ बहाने बना रही है।