आरएसएस-बीजेपी की सोच देश हित में नहीं है। जब भारत आज़ाद हुआ तब एससी-एसटी-ओबीसी समुदाय के लोग न तो संविधान सभा में प्रभावी थे और न ही मंत्रिमंडल में। ओबीसी वर्ग तो बना ही नहीं था। इनकी आवाज़ें जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गाँधी, सरदार बल्लभ भाई पटेल, पंजाब राव देशमुख जैसे लोग उठाया करते थे, जो लंदन या अमेरिका से पढ़कर लौटे थे और बहुत संपन्न परिवारों से थे। उन्हें देश की चिंता थी और इस पर गंभीरता से विचार करते थे कि देश में एक बड़ी आबादी शासन-सत्ता और सुख-सुविधाओं से वंचित क्यों रह गई।

चालाकियों के फेर में मोदी सरकार के गले की हड्डी बना आरक्षण