क्या मायावती का दलित आधार इस तरह छीज चुका है कि वे यूपी की राजनीति में भी डूबता हुआ सूरज बन चुकी हैं? क्या आक्रामक राजनीति छोड़ने की वजह से ऐसा हो रहा है?
मुसलमान भारत की राजनीति में पूरी तरह अप्रासंगिक हो चुके हैं, इस वजह से ही कोई राजनीतिक दल उनके मुद्दे नहीं उठा रहा है। कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सदस्य मुहम्मद अदीब का तो यही मानना है। क्या यह सच है?
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तहादुल-ए-मुसलिमीन (एआईएमआईएम) को मुसलिम समुदाय से मिला समर्थन ग़ैर-बीजेपी दलों को इस पर आत्ममंथन करने को मज़बूर करेगा कि बीजेपी के ख़िलाफ़ खड़ी ये पार्टियाँ हिन्दुत्व की चुनौती का सामना करने में क्यों हिचक रही हैं।