डिपोर्टेशन पर अपने एक फ़ैसले को लेकर डोनाल्ड ट्रंप विवादों में घिर गए हैं। दरअसल, अमेरिका से वेनेजुएला के सैकड़ों कथित गैंग मेंबरों को रविवार को एल साल्वाडोर की एक जेल में डिपोर्ट किया गया। ट्रंप प्रशासन ने इस कार्रवाई के लिए युद्धकालीन शक्तियों का इस्तेमाल किया। वह भी तब जब एक फेडरल जज ने शनिवार शाम को इस क़दम को रोकने का आदेश दिया था। यह घटना व्हाइट हाउस और न्यायपालिका के बीच एक नया टकराव बन गई है। ट्रंप ने इसे आक्रमण करार दिया, जबकि आलोचकों ने इसे कानून का उल्लंघन बताया है।
डिपोर्टेशन पर ट्रंप ने क्या अदालती आदेश भी नहीं माना? जानें विवाद क्यों
- दुनिया
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- सत्य ब्यूरो
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- 17 Mar, 2025
अमेरिका ने वेनेजुएला के सैकड़ों कथित गैंग मेंबर्स को एल साल्वाडोर डिपोर्ट किया। ट्रंप प्रशासन ने युद्धकालीन शक्तियों का इस्तेमाल किया, बावजूद इसके कि एक फेडरल जज ने इसे रोकने का आदेश दिया था। क्या यह कानून का उल्लंघन है?

ट्रंप प्रशासन ने 1798 के एलियन एनेमीज एक्ट का हवाला देकर वेनेजुएला के ट्रेन डे अरागुआ गैंग के कथित सदस्यों को डिपोर्ट करने की प्रक्रिया शुरू की। शनिवार को यूएस डिस्ट्रिक्ट जज जेम्स बोसबर्ग ने इस क़ानून के इस्तेमाल पर अस्थायी रोक लगा दी। यहाँ तक कि जज ने उड़ान भर चुके विमानों को वापस अमेरिका लौटाने का मौखिक आदेश दिया। उनका तर्क था कि सरकार ने निर्वासन के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं का जवाब नहीं दिया और प्रक्रिया को रोकना ज़रूरी है। यह रोक 14 दिनों तक प्रभावी रहेगी।