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रियाध में सऊदी अरब की मध्यस्थता में यूएस-रूस बैठक

यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए रूस-अमेरिका आगे बढ़े, लेकिन ट्रम्प का बयान पढ़िये

रूस और अमेरिका ने मंगलवार (18 फरवरी) को यूक्रेन में युद्ध खत्म करने पर सहमति जताई और इस सिलसिले को आगे बढ़ाने का फैसला किया। दोनों ने अपने राजनयिक और आर्थिक संबंधों को भी बेहतर बनाने की दिशा में काम करना शुरू करने पर सहमति जताई। यह घटनाक्रम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की अमेरिकी विदेश नीति में असाधारण बदलाव को बता रहा है।

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि दोनों पक्षों ने तीन लक्ष्य तय किये हैं। जिसमें: वाशिंगटन और मॉस्को में अपने-अपने दूतावासों में कर्मचारियों की संख्या बहाल करना, यूक्रेन शांति वार्ता का समर्थन करने के लिए एक उच्च स्तरीय टीम बनाना और करीबी संबंधों और आर्थिक सहयोग की तलाश करना। इस बातचीत में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भी शामिल थे। लावरोव ने भी कहा कि आगे और काम किए जाने की जरूरत है।

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ट्रम्प की महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया

फ्लोरिडा में अपने मार-ए-लागो एस्टेट में पत्रकारों से बात करते हुए, ट्रम्प ने बातचीत से बाहर रखे जाने के बारे में यूक्रेन और यूरोप की चिन्ता को खारिज कर दिया। लेकिन ट्रम्प के बयान से यह लग रहा है कि इस युद्ध के लिए कीव को दोषी ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा: "आज मैंने सुना, 'ओह, हमें आमंत्रित नहीं किया गया था'। खैर, आप तीन साल से वहां हैं। आपको इसे तीन साल पहले ही खत्म कर देना चाहिए था। आपको इसे कभी शुरू नहीं करना चाहिए था। आप डील कर सकते थे।"

राष्ट्रपति ट्रम्प ने शिकायत की कि उन्होंने अभी तो इस बात का कोई लेखा-जोखा ही नहीं देखा है कि अमेरिकी सैन्य सहायता किस तरह वहां खर्च की जा रही है। बहरहाल, उन्होंने ज़ेलेंस्की के समर्थन में आवाज़ उठाने से परहेज़ किया। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि मेरे पास इस युद्ध को खत्म करने की पावर है।"
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने इस बैठक में अपने देश की गैरमौजूदगी पर असंतोष व्यक्त करते हुए स्पष्ट किया कि यूक्रेन की भागीदारी के बिना लिए गए किसी भी निर्णय को उनका देश स्वीकार नहीं करेगा। यूरोपीय नेताओं ने भी इस प्रक्रिया से बाहर रखे जाने पर चिंता जताई है। 

यूरोप की चिन्ता

पूरे यूरोप में यह चिंता थी कि ट्रम्प रूस के पक्ष में शांति समझौते के लिए दबाव डाल सकते हैं। इसीलिए यूरोपीय संघ के देशों ने यूक्रेन के लिए मजबूत सुरक्षा गारंटी की जरूरत पर बल दिया है ताकि भविष्य में किसी भी आक्रमण को रोका जा सके। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस संदर्भ में यूरोपीय रक्षा क्षमताओं को सुदृढ़ करने की जरुरत पर जोर दिया है। आगामी बातचीत में यूक्रेन और यूरोपीय संघ की सक्रिय सहभागिता इस प्रक्रिया की सफलता के लिए महत्वपूर्ण होगी।

यूक्रेन संकट की शुरुआत 2014 में हुई थी, जब रूस ने क्रीमिया का विलय अपने देश में कर लिया। इसके बाद यूक्रेन के पूर्वी क्षेत्रों में रूस के समर्थन वाले अलगाववादी समूहों ने सत्ता के लिए संघर्ष छेड़ दिया। 2022 में रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया, जिससे यह संघर्ष बड़े पैमाने पर शुरू हो गया। अमेरिका और नाटो ने यूक्रेन का समर्थन किया, जबकि रूस ने अपने हितों की रक्षा के लिए अपनी स्थिति को मजबूत किया। यह संघर्ष अब तक जारी है, और इसने ग्लोबल अर्थव्यवस्था और राजनीतिक स्थिरता को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।

बैठक की खास बातें

  • यूक्रेन की अनुपस्थिति: यूक्रेन को इस बैठक में शामिल नहीं किया गया, जिसने इस बातचीत की वैधता पर सवाल उठाए। यूक्रेन के नेताओं ने इसे "अनुचित" कहा है, क्योंकि वे अपने भविष्य के बारे में फैसले लेने वाली बातचीत में शामिल नहीं थे।
  • अमेरिका का रुख: अमेरिका ने इस बैठक के बाद कहा कि यह एक शुरुआत है, और भविष्य में और बातचीत होंगी। अमेरिका का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि यूक्रेन की संप्रभुता और अखंडता बनी रहे।
  • रूस की मांगें: रूस ने अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों को मान्यता दिए जाने की मांग की है। इसके अलावा, वह यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की योजना का विरोध कर रहा है।
  • सऊदी अरब की भूमिका: सऊदी अरब ने इस बैठक के लिए अपने क्षेत्र का इस्तेमाल किया, जो इस देश की निष्पक्षता का संकेत है। सऊदी अरब ने अंतरराष्ट्रीय संघर्षों में मध्यस्थ की भूमिका निभाने का प्रयास किया है।

हालांकि यह बैठक एक शुरुआती कदम है, लेकिन यह स्पष्ट है कि आगे की राह चुनौतीपूर्ण है। अमेरिका और रूस ने विशेष दूतों की नियुक्ति के माध्यम से बातचीत जारी रखने की योजना बनाई है। इसके साथ ही, चीन और यूरोपीय देशों ने भी शांति प्रयासों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया है। भविष्य में, संभावित ट्रंप-पुतिन शिखर सम्मेलन की चर्चा है, हालांकि इसकी तारीख अभी तय नहीं हुई है। जेलेंस्की ने भी पुतिन से मिलने से मना नहीं किया है।

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बातचीत खत्म होने पर दोनों पक्षों ने सावधानीपूर्वक बयान जारी किए। यूएस विदेश मंत्री रुबियो ने कहा कि यह बैठक "एक लंबी और कठिन यात्रा का पहला कदम" थी। उन्होंने आगे कहा: "यूक्रेन संघर्ष का अंत यूक्रेन, यूरोप और रूस सहित सभी को मंजूर होना चाहिए।" वाल्ट्ज ने कहा: "इस युद्ध का स्थायी अंत होना चाहिए न कि अस्थायी अंत जैसा कि हमने अतीत में देखा है।

(रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी)
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