नवाज शरीफ की पार्टी के सीनियर नेता और पूर्व कानून मंत्री आज़म नज़ीर तरार ने पाकिस्तान में अभी जो राजनीतिक हालात हैं, उसमें मिलीजुली सरकार का ही एकमात्र विकल्प बचता है। उनका इशारा पीपीपी के अलावा अन्य छोटे दलों को भी इस सरकार में शामिल करने की ओर था। लेकिन उन्होंने नाम नहीं लिया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि चुनाव "निष्पक्ष" हुए हैं। पीएमएल-एन नेता ने शरीफ के घर पर पार्टी के शीर्ष नेताओं की एक बैठक के बाद मीडिया से यह बात कही। इस बैठक में भविष्य की कार्रवाई के संबंध में विचार-विमर्श किया गया था। पूर्व मंत्री ने कहा कि पीएमएल-एन ने केंद्र में सरकार बनाने के लिए अपने पूर्व सहयोगियों के साथ परामर्श शुरू कर दिया है।
दूसरी तरफ पीपीपी गठबंधन सरकार की ओर बढ़ रही है। 'राजनीतिक सहयोग पर सहमति' के बाद पीपीपी सोमवार को अहम बैठक में पीएमएल-एन के साथ गठबंधन का प्रस्ताव रख सकती है। ऐसे में केंद्र में यानी नेशनल असेम्बली में शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन और बिलावल भुट्टो की पार्टी पीपीपी की सरकार बनाने का रास्ता साफ हो जाएगा।
पीटीआई की नजर कहां है
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने सैद्धांतिक रूप से किसी अन्य राजनीतिक दल के साथ गठबंधन करने या विलय करने का फैसला किया है। इस बात का खुलासा पीटीआई नेता बैरिस्टर गौहर अली खान ने किया है। डॉन न्यूज से बात करते हुए, पीटीआई नेता ने कहा कि जब वे इस संबंध में विकल्प तलाश रहे हैं, तो पार्टी निश्चित रूप से संभावित गठबंधन के लिए पीएमएल-एन या पीपीपी से संपर्क नहीं करेगी। लेकिन वो अन्य कौन है, इस पर वो खामोश हैं।
डॉन न्यूज पर गौहर ने कहा- ''हम इन दोनों के साथ सहज महसूस नहीं करते हैं। सरकार बनाने या उनके साथ मिलकर सरकार बनाने को लेकर किसी से कोई बातचीत नहीं होगी। सरकार बनाने से बेहतर है कि हम विपक्ष में बैठें, लेकिन हमें लगता है कि हमारे पास बहुमत है।'' उन्होंने दोहराया कि यदि उनका जनादेश स्वीकार नहीं किया गया तो पार्टी एक मजबूत विपक्ष बनाएगी। किसी भी विधानसभा में सरकार बनाने के लिए बहुमत का दावा करने की कोशिशों में पीटीआई के लिए आरक्षित सीटों का मुद्दा निश्चित रूप से एक बाधा होगा।
पीटीआई के पास दो विकल्प
एक विकल्प तो जमात-ए-इस्लामी (जेआई) से गठबंधन का हो सकता है। जिसके केपी विधानसभा में तीन सदस्य हैं। दोनों के पास पहले से ही केपी सरकार में सहयोगी के रूप में एक साथ काम करने का कुछ अनुभव भी है जब दोनों ने 2013 में एक सत्तारूढ़ गठबंधन बनाया था। हालांकि, मई 2018 में प्रांतीय सरकार के कार्यकाल के अंत में उस साझेदारी को औपचारिक रूप से भंग कर दिया गया था। पाकिस्तान कानून के मुताबिक निर्दलीय सदस्य को किसी न किसी पार्टी में शामिल होना पड़ेगा या अपनी पार्टी का विलय करना होगा।
पीटीआई के पास दूसरा विकल्प मजलिस-ए-वहदतुल मुस्लिमीन (एमडब्ल्यूएम) के साथ गठबंधन का है। यह उन पार्टियों में से एक है जो काफी समय से पीटीआई के खेमे में हैं। हालाँकि, ऐसा प्रतीत होता है कि MWM ने अल्पसंख्यक उम्मीदवारों की सूची पेश नहीं की है, जबकि इसकी पुष्टि नहीं की जा सकी है कि उन्होंने महिला उम्मीदवारों की सूची पेश की है या नहीं। लेकिन कुल मिलाकर पीटीआई के साथ उनकी बात बन सकती है। इन्हीं गठबंधनों के आधार पर पीटीआई भी सत्ता की तरफ देख रही है।
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