ईरान के विदेश मंत्री इजराइल-हमास युद्ध पर बातचीत के लिए मुस्लिम देशों की यात्रा पर हैं। ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर ने शुक्रवार शाम को दमिश्क में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद से मुलाकात की, शनिवार को वो बेरूत में वहां के उप प्रमुख और हमास नेताओं के साथ बैठक की और शनिवार को वहां से कतर पहुंच गए। इन सभी देशों में
ईरान ने मुस्लिम देशों के संगठन Organization of Islamic Cooperation (OIC) की बैठक फौरन बुलाने की मांग रखी। जिसका समर्थन अन्य देशों ने भी किया। ओआईसी की लीडरशिप इस समय सऊदी अरब के पास है। सऊदी अरब ने शनिवार देर रात में ओआईसी बैठक बुलाने की घोषणा कर दी। यह बैठक बुधवार 18 अक्टूबर को जेद्दा में होगी।
यह बैठक ऐसे समय में बुलाई गई है जब युद्ध को रविवार 15 अक्टूबर को नौवां दिन हो गया है। ग़ज़ा में इजराइल की बमबारी जारी है। अब वो ग़ज़ा में जमीनी हमले की तैयारी कर रहा है। इजराइली हवाई हमलों में अब तक कम से कम 2,215 फिलिस्तीनी मारे गए हैं और 8,714 घायल हुए हैं। हमास के इज़राइल पर हमला शुरू करने के बाद से इज़राइल में मारे गए लोगों की संख्या 1,300 है, जबकि 3,400 से अधिक घायल हुए हैं। ईरान ने ग़ज़ा में "युद्ध अपराधों" के कारण इजराइल को प्रतिरोध के ज़लज़ले (भूकंप) का सामना करना पड़ेगा।
इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) मुस्लिम देशों का 57 सदस्यीय समूह है। ओआईसी ने बुधवार की बैठक का एजेंडा जारी करते हुए कहा कि बैठक "ग़ज़ा और उसके आसपास की बढ़ती सैन्य स्थिति के साथ-साथ नागरिकों के जीवन और क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता को खतरे में डालने वाली बिगड़ती स्थितियों पर चर्चा के लिए बुलाई गई है।"
इससे पहले, हमास और इजराइल के बीच लड़ाई बढ़ने पर ईरान ने ओआईसी की आपात बैठक बुलाने की मांग की थी। ईरान का पहला बयान पिछले सोमवार को ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के जरिए आया था। जिसमें मांग की गई थी कि "तेहरान ओआईसी की एक आपातकालीन बैठक इजराइल-हमास युद्ध पर विचार के लिए बुलाने की मांग करता है।" इसके फौरन बाद ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर सीरिया, लेबनान और कतर की यात्रा पर रवाना हो गए।
हमास का हमला, दशकों में इज़राइल में सबसे बड़ी घुसपैठ है। इसने खाड़ी देशों समेत इजराइल और अमेरिका के समीकरण भी बदल दिए हैं। वाशिंगटन ने हाल ही में सऊदी अरब-इज़राइल संबंधों को सामान्य बनाने के लिए शांति समझौते की पहल की थी। समझौता होने के बाद अमेरिका-सऊदी अरब डील होना थी। इस सारे कदम से ईरान अलग-थलग पड़ने वाला था। लेकिन अब कहानी बदल गई। सऊदी अरब ने इजराइल के शांति समझौते को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। तेहरान अब मुस्लिम देशों की लीडरशिप संभालने की कोशिश कर रहा है। इस युद्ध ने ईरान को अचानक एक महत्वपूर्ण देश बना दिया है।
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