loader

क्या ईरान के जाल में फँस गया है इसराइल, अब उसके अस्तित्व पर ही संकट?

क्या इसराइल अब ईरान के जाल में फँस गया है? और यह कोई ऐसा-वैसा जाल नहीं है जिससे बच निकलने का आसान रास्ता हो, बल्कि उसके अस्तित्व पर ही अब संकट आ गया है? यदि ऐसा है तो इसराइल और अमेरिका इसको भाँप क्यों नहीं पाए?

ये वो सवाल हैं जो मशहूर पत्रकार और न्यूयॉर्क टाइम्स के स्तंभकार थॉमस फ्रीडमैन ने उठाए हैं। क़रीब हफ़्ते भर पहले लिखे एक लेख में फ्रीडमैन ने लिखा कि ईरान बड़ी मुस्तैदी से इसराइल को अपने जाल में फँसाने की कोशिश कर रहा है, इस बात को इसराइल समझ नहीं रहा है और नेतन्याहू अपनी राजनीति को चमकाने के लिए इसराइल के अस्तित्व को संकट में डाल रहे हैं। इसराइल भले ही सोचे कि उसने हमास को तबाही के कगार पर ला दिया है, हिजबुल्लाह को भी बहुत बड़ा नुक़सान पहुँचाया है और हूतियों के ख़िलाफ़ उसका अभियान चल ही रहा है, लेकिन इसराइल के लिए बड़े संकट का संकेत दिया जा रहा है। उसके लिए यह संकट इस रूप में कहा जा रहा है कि ईरान ने इसराइल को चारों तरफ़ से घेर लिया है। 

ताज़ा ख़बरें

थॉमस फ्रीडमैन ने अपने लेख में किस बात की ओर इशारा किया है और उन्होंने इसके लिए क्या तर्क दिए हैं, वह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर मध्य पूर्व में क्या चल रहा है। 

इसराइल ने लेबनान में हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह के उत्तराधिकारी हाशिम सफीद्दीन को निशाना बनाया है। यह हमला हिजबुल्लाह के मुख्यालय को निशाना बनाते हुए किया गया। हिजबुल्लाह ने अभी तक इस बारे में कोई बयान नहीं दिया है। ईरान द्वारा तीन दिन पहले इसराइल पर मिसाइल हमले के बाद इसराइल ने लेबनान में हमला तेज कर दिया है। ईरान ने एक साथ क़रीब 200 मिसाइलों से इसराइल को निशाना बनाया था।

ताज़ा तनाव तब शुरू हुआ जब कुछ हफ़्ते पहले इसराइल ने लेबनान में पेजर विस्फोट से हिजबुल्ला को निशाना बनाया। इसके बाद वॉकी-टॉकी विस्फोट किए। दो सप्ताह के हवाई हमलों और पिछले सप्ताह हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद तनाव और बढ़ गया। हवाई हमलों ने कई हिजबुल्लाह कमांडरों को खत्म कर दिया है, जबकि लगभग 1000 नागरिकों की मौत हो गई है और दस लाख लोगों को अपने घरों से भागने पर मजबूर होना पड़ा है। इसराइल ने कथित तौर पर लेबनान के अंदरुनी क्षेत्रों में जमीनी अभियान तक शुरू कर दिया।  
इससे पहले इसराइल ने ग़ज़ा में ऐसा ही अभियान शुरू किया था। ग़ज़ा में क़रीब एक साल से हालात बदतर हैं। हमास द्वारा इसराइल पर अभूतपूर्व हमला करने के बाद लगभग एक साल से मध्य पूर्व में गंभीर सुरक्षा स्थिति बनी हुई है।

हमास के हमले में लगभग 1200 लोग मारे गए और 200 से अधिक लोगों को बंधक बना लिया गया था। इस हमले के बाद ग़ज़ा में इसराइल ने लगातार बमबारी की जिसमें 41000 से अधिक लोग मारे गए।

बहरहाल, इन्हीं घटनाओं को लेकर थॉमस फ्रीडमैन ने न्यूयॉर्क टाइम्स में स्तंभ लिखा है। इसमें उन्होंने ईरान की रणनीति के बारे में कहा है, 'यह एक ट्रैप है। बाइडन प्रशासन ने इसराइल को इस ट्रैप में गिरने से नहीं रोका।' 

उन्होंने लिखा है, '

यहूदी राज्य गहरे संकट में है। ईरान की बड़ी योजना है कि इसराइल को धीरे-धीरे ख़त्म किया जाए, अमेरिका के सहयोगियों को कमजोर किया जाए और क्षेत्र में अमेरिका के प्रभाव को कम किया जाए।


थॉमस फ्रीडमैन के लेख का अंश

उन्होंने लिखा है कि ईरान अपने साथियों की मदद से इसराइल का रक्त बहा कर मारना चाहता है। उन्होंने कहा है, 'जंग का फ़ौरी कारण है कि ईरान हमास नहीं चाहते कि बाइडन इसराइल, फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी और सउदी के बीच शांति स्थापित कराने में कामयाब हो।' 

उन्होंने तर्क दिया है, 'ईरान हमास की योजना है कि इसराइल को हमास, हिज़बुल्लाह, हूती, ईराक़ में ईरान समर्थक शिया चरमपंथी और वेस्ट बैंक के मिलिटेंट की मदद से चारों तरफ़ से घेर लिया जाए।' 

उन्होंने लिखा है, 'ईरान की रणनीति है कि फ़िलिस्तीनियों और लेबनानियों की मौत हो लेकिन एक भी ईरानी शख्स न मरे।'

फ्रीडमैन ने लिखा है कि इसराइल की दिक़्क़त ये है कि जब उसका अस्तित्व संकट में है तो नेतन्याहू अपनी राजनीति बचाने में लगे हैं।
दुनिया से और ख़बरें

फ्रीडमैन के अनुसार, ईरान की योजना को तहस नहस करने के लिए इसराइल को चार चीजें करनी होंगी- 

  • बहुत वक़्त लेना होगा क्योंकि ईरान के सहयोगी रातोंरात ख़त्म नहीं होंगे 
  • बड़े पैमाने पर संसाधनों की ज़रूरत होगी 
  • अरब/यूरोप के देशों से गठबंधन करना होगा
  • साख बढ़ानी होगी।

थॉमस फ्रीडमैन कहते हैं कि तत्कालीक तौर पर इसराइल को तीन बड़े फै़सले लेने होंगे-

  • हमास से सीजफायर 
  • सऊदी अरब से दोस्ती 
  • गजा में फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी की स्थापना”

वह लिखते हैं, "नेतन्याहू की रणनीति एक आपदा है। गजा में इसराइल की युद्ध रणनीति को क़रीब से देखने वाले एक अनुभवी अमेरिकी सैन्य कमांडर ने मुझे निजी तौर पर बताया कि दो आँखों वाला कोई भी व्यक्ति वह जानता है कि हमास को हराने का एकमात्र तरीका 'साफ़ करना, पकड़ना और निर्माण करना' की रणनीति है। दुश्मन को नष्ट करना, क्षेत्र पर कब्जा करना और फिर एक वैकल्पिक स्थानीय, वैध फिलिस्तीनी शासन प्राधिकरण का निर्माण करना। उन्होंने कहा कि गजा में इसराइल की रणनीति रही है: 'सफ़ाया करना, छोड़ना, वापस आना, फिर से उसी जगह को सफ़ाया करना, फिर से छोड़ना, वापस आना और फिर से सफ़ाया करना।' उन्होंने कहा कि यह हमास को 'अर्ध-सैन्य से क्लासिक विद्रोह में बदलने का एक पाठ्यपुस्तक के लिए उदाहरण है।'
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

दुनिया से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें