अफ़ग़ानिस्तान में प्रधानमंत्री मोदी के काम को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मोदी का मज़ाक उड़ाया तो भारत ने भी इसका जवाब ‘विकास’ से दिया। ट्रंप ने कहा था कि अफ़ग़ानिस्तान में मोदी की फ़ंडिंग वाली लाइब्रेरी में जाएगा कौन। जवाब में भारत ने कहा कि विकास से लोगों की जिन्दगियाँ सुधरेंगी।
दरअसल, ट्रंप ने मोदी द्वारा अफ़ग़ानिस्तान में एक पुस्तकालय की फ़ंडिंग का ज़िक्र किया और कहा था कि उस देश में कौन इसका उपयोग करेगा। यही नहीं, उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि मोदी ख़ुद को स्मार्ट समझते हैं लेकिन मेरा फ़ायदा नहीं उठा सकते। इस बयान को मोदी का मज़ाक उड़ाने के तौर पर देखा गया। हालाँकि इसके बाद भारत ने इस पर नपी-तुली प्रतिक्रिया दी। इसने कहा कि भारत इसमें पक्के तौर पर विश्वास करता है कि विकास में मदद कर लोगों की ज़िन्दगियों में तब्दीली लायी जा सकती है।
- सरकारी प्रवक्ता ने कहा, ‘अफ़ग़ानिस्तान के साथ भारत के रिश्ते ख़ास ज़रूरतों को ध्यान में रखकर बने हैं। इन ज़रूरतों को अफ़ग़ानिस्तान सरकार के सहयोग से पहचाना गया है। यह पूरी तरह से अफ़ग़ानिस्तान के लोगों की भलाई और उनकी ज़िन्दगी सुधारने के लिए है।’
यह विवाद तब शुरू हुआ जब नये साल की पहली कैबिनेट बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति ने पीएम मोदी द्वारा अफ़ग़ानिस्तान में एक पुस्तकालय की फ़ंडिंग का ज़िक्र किया।
कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति ने मोदी से मिलने की बात का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, ‘मैं आपको एक उदाहरण बता सकता हूँ। मेरा भारत और भारत के प्रधानमंत्री मोदी के साथ अच्छे रिश्ते हैं। लेकिन पीएम मोदी मुझे लगातार बताते हैं कि उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान में एक पुस्तकालय बनाया है। पुस्तकालय! वह तो इतना है जितना हमने 5 घंटे (अफ़ग़ानिस्तान में) बिताए हों।’
डोनल्ड ट्रंप ने कहा, ‘वह (मोदी) कहते हैं। वह बहुत स्मार्ट हैं। उन्होंने यह उम्मीद की कि हम उन्हें लाइब्रेरी के लिए धन्यवाद कहें! मुझे नहीं पता कि अफ़ग़ानिस्तान में लाइब्रेरी का इस्तेमाल कौन कर रहा है। लेकिन इसमें एक चीज़ है। मेरा कोई फ़ायदा उठाए मुझे यह पसंद नहीं।’
'पूरा सहयोग नहीं कर रहे दूसरे देश'
भारत से क्या चाहते हैं ट्रंप?
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के ख़िलाफ़ लड़ाई में भारत सहित कई देशों की मदद चाहते हैं। ट्रंप चाहते हैं कि ये देश अपनी सेना को अफ़ग़ानिस्तान में तैनात करें। हालाँकि भारत अपनी सेना को वहाँ तैनात नहीं करना चाहता। फिर भी भारत ने अफ़ग़ानिस्तान के इन्फ़्रास्ट्रक्चर को खड़ा करने में काफ़ी अहम भूमिका निभाई है। फ़िलहाल ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन अफ़ग़ानिस्तान पर किए जाने वाले अपने ख़र्चे में कटौती कर रहा है और अपनी सेना को भी धीरे-धीरे हटा रहा है।
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