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सोमवार को कनाडा में वाणिज्य दूतावास के सामने खालिस्तानी प्रदर्शन करते हुए।

कनाडा: दूतावास के बाहर खालिस्तानियों ने फिर भारत विरोधी नारे लगाए

कनाडा-भारत संबंधों में आई खटास का फायदा उठाते हुए कनाडा में खालिस्तानी तत्व फिर से सक्रिय हो गए हैं। खालिस्तानी समर्थक और घोषित आतंकवादी समूह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के समर्थकों ने सोमवार (23 अक्टूबर) को वैंकूवर में भारतीय वाणिज्य दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने कथित तौर पर भारत विरोधी नारेबाजी की। सोशल मीडिया पर जो तस्वीरे और वीडियो वायरल हुए हैं, उनमें दिखाया गया है कि एसएफजे समर्थक और खालिस्तान समर्थक वैंकूवर में भारतीय वाणिज्य दूतावास के बाहर झंडे लेकर इकट्ठा हुए और भारत के खिलाफ नारे लगाए।
इस साल जून में कनाडाई नागरिक और सिख अलगवावादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कर दी गई। हत्या के काफी दिनों बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर आरोप लगाया कि निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ है। भारत सरकार को जांच में मदद करना चाहिए। इसके बाद कनाडा ने भारतीय दूत को निष्कासित कर दिया। भारत के विदेश मंत्रालय ने इसका जबरदस्त खंडन किया। भारत ने भी कनाडाई दूत को निष्कासित कर दिया। इतना ही नहीं भारत ने कनाडा में वीजा जारी करना बंद कर दिया। भारत के दबाव पर कनाडा को अपने 41 दूत भारत से वापस बुलाने पड़े। इस सारे मामले में अमेरिका और ब्रिटेन ने कनाडा का साथ दिया है।
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भारत ने रविवार (22 अक्टूबर) को कहा था कि उसने अपने घरेलू मामलों में "लगातार हस्तक्षेप" के कारण भारत में मौजूद कनाडाई राजनयिकों के लिए कुछ नियम लागू किए हैं। इसमें एक मुद्दा तो यह है कि एक देश में कितने राजनयिक हैं बनाम दूसरे देश में कितने राजनयिक हैं। वियना कन्वेंशन द्वारा समानता प्रदान की गई है, जो इस पर प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय नियम है। 

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को कहा था- "भारत ने समानता का आह्वान इसलिए किया क्योंकि हमें कनाडाई कर्मियों द्वारा हमारे मामलों में लगातार हस्तक्षेप के बारे में चिंता थी। हमने इस बारे में ज्यादा कुछ सार्वजनिक नहीं किया है। समय के साथ, और चीजें भी सामने आएंगी और लोग समझेंगे कि हमने उनमें से कई लोगों के साथ उस तरह की असुविधा क्यों की थी।"
कनाडा में वीज़ा सेवाओं के मुद्दे पर जयशंकर ने कहा, "अभी रिश्ते कठिन दौर से गुजर रहे हैं। लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि हमारी जो समस्याएं हैं, वे कनाडाई राजनीति के एक निश्चित वर्ग और उससे उत्पन्न होने वाली नीतियों के साथ हैं। अभी लोगों की सबसे बड़ी चिंता वीज़ा को लेकर है।"
भारतीय विदेश मंत्री ने कहा- "कुछ हफ़्ते पहले, हमने कनाडा में वीज़ा जारी करना बंद कर दिया था क्योंकि हमारे राजनयिकों के लिए वीज़ा जारी करने के लिए काम पर जाना अब सुरक्षित नहीं था। इसलिए उनकी सुरक्षा ही प्राथमिक कारण था जिससे हमें वीज़ा जारी करना अस्थायी रूप से रोकना पड़ा। हम बहुत करीब से नज़र रख रहे हैं।"
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विदेश मंत्री  जयशंकर ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि स्थिति इस मायने में बेहतर होगी कि हमारे लोगों को राजनयिक के रूप में अपने मूल कर्तव्य को पूरा करने में सारा अधिकार होगा। राजनयिकों की सुरक्षा वियना कन्वेंशन का सबसे खास बुनियादी पहलू है।" बता दें कि दोनों ही देश वियना कन्वेंशन की दुहाई दे रहे हैं। दोनों एक दूसरे पर वियना कन्वेंशन के उल्लंघन का आरोप लगा रहे हैं।
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क़मर वहीद नक़वी
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