इतिहास का एक कटु सत्य। क्यों आरएसएस सुभाष बोस को अपनाना चाहता है जबकि जब बोस ने आज़ाद हिंद फ़ौज बनाई थी एक भी आरएसएस का आदमी उनकी सेना में शामिल नहीं हुआ। उल्टे सावरकर ने अंग्रेजों का साथ दिया और उनकी सेना में शामिल होने के लिये कैंप लगाये । आशुतोष के साथ चर्चा में प्रो शमशुल इस्लाम ।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।