सेकुलर और सोशलिस्ट शब्द को भारत के संविधान में 1976 में डाला गया था । लेकिन बुधवार को जब नई संसद में संविधान की कापी दी गई तो उसमें ये दो शब्द ग़ायब थे । ये कहा गया कि पुराना संविधान दिया गया । जबकि परंपरा है लेटेस्ट संविधान की कापी देने की ताकि नये संशोधन में हो ? सवाल उठता है क्या इन दोनों संविधान को हटाने जा रही है मोदी सरकार ?
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।