हरेक जान की कीमत भी तय कर दो सरकार बहादुरवीडियो|आलोक जोशी |23 Jul, 2020ग़ाज़ियाबाद में पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या के बाद सरकार और पुलिस पर उठ रहे सवाल। दस लाख रुपए मुआवज़े और पत्नी को नौकरी का एलान। लेकिन हत्या के बाद मुआवज़ा ही हर समस्या का अंत है। जान बचाने में नाकाम क्यों है सरकार?Alok JoshiJournalist vikram joshiसत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करेंआलोक जोशीलेखक सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक हैंआलोक जोशी की और स्टोरी पढ़ेंसावरकर को गाँधी की हत्या मामले में क्यों नहीं हुई थी सज़ा?पिछली स्टोरी क्या बिहार में कोरोना से हालात हो रहा ख़राब?अगली स्टोरी