बिहार में नक़ली शराब से 39 लोगों की मौत हुई है । ये सब गरीब परिवार से हैं । लेकिन बजाय इनके परिवारों के प्रति सहानुभूति रखने के नीतीश कह रहे हैं कि शराब पियेंगे तो मरेंगे । कोई मुख्यमंत्री ऐसी भाषा कैसे बोल सकता है ? क्या ऐसे मुख्यमंत्री को अपने पद पर बने रहना चाहिये ?
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।