महज़ पाँच घंटे में नौसिखिये बाबरी मस्जिद गिरा सकते थे? क्या सीबीआई ने अदालत में नहीं रखे साक्ष्य? आखिर कोर्ट ने क्यों कहा कि बाबरी ध्वंस के पीछे साजिश नहीं थी?
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।