अमेरिका के 75 डेमोक्रेट सांसदों ने राष्ट्रपति जो बाइडेन से कहा कि वो भारत के पीएम मोदी से बातचीत में तमाम मानवाधिकार के मुद्दों पर बात करें। जिसमें धार्मिक आजाजी, प्रेस की आजादी, सिविल सोसाइटी समूहों पर सरकारी हमले और इंटरनेट शटडाउन जैसे मुद्दे शामिल हैं।
सर्वोच्च न्यायालय की यह बात तो बिल्कुल ठीक है कि भारत का संविधान नागरिकों को अपने ‘धर्म-प्रचार’ की पूरी छूट देता है और हर व्यक्ति को पूरा अधिकार है कि वह जिसे चाहे, उस धर्म को स्वीकार करे।
अब प्रधानमंत्री मोदी के जिगरी यार डोनल्ड ट्रम्प के देश से भी कड़ी टिप्पणी आ गई है। अमेरिकी संस्था यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ़्रीडम ने अपनी रिपोर्ट में भारत में मुसलमानों के उत्पीड़न पर चिंता ज़ाहिर की है।
धार्मिक स्वतंत्रता पर नज़र रखने वाले एक कमीशन ने ट्रम्प प्रशासन को सौंपी रिपोर्ट में भारत में हो रहे उत्पीड़न पर गहरी चिंता जताई है। उसने पिछले साल भर की घटनाओं का हवाला देते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। यही नहीं उसने कुछ पाबंदियां लगाने औऋ संपत्ति ज़ब्त कर लेने जैसे कुछ सुझाव भी दिए हैं।