सरकार के इस काले क़ानून और क्रूर क़दमों के ख़िलाफ़ जो लोग आज आवाज़ उठा रहे हैं, वे किसी एक समुदाय, जाति या बिरादरी की आवाज़ नहीं है, वह पूरे राष्ट्र और हर आम भारतीय नागरिक की आवाज़ है!
पॉन्डीचेरी विश्वविद्यालय की गोल्ड मेडलिस्ट रबीहा अब्दुररहीम ने अपना पदक लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम के ख़िलाफ़ आन्दोलन कर रहे छात्रों के समर्थन में ऐसा किया।
सरकार एनआरसी लाकर लगातार घुसपैठियों को देश से भगाने का दावा करती रही तो अब नागरिकता देने की बात क्यों? सरकार ने एनआरसी से कितने घुसपैठियों को बाँग्लादेश भेजा? अब नागरिकता विधेयक क्यों? अब जब असम जल रहा है तो सरकार क्या कर रही है? क्या बंदूक़ की गोली इसका जवाब हो सकती है? देखिए आशुतोष की बात।
पश्चिम बंगाल में असम की तरह एनआरसी लागू नहीं है, लेकिन इसकी दहशत उससे कम भी नहीं है। ऐसी अफ़रातफ़री है कि कई लोगों की मौत के दावे किए गए हैं। तो क्यों है इतनी दहशत कि स्थिति मौत तक पहुँच जा रही है?
एनआरसी को लेकर अख़बार के पहले पन्ने पर सुर्खी के तौर पर यह संख्या नाटकीय लगती है। यह संख्या कैसे हासिल हुई और इसके क्या मायने हैं? गणित का सवाल होगा, कितने में कितना घटाने से यह 19,06,657 की संख्या मिलेगी?