मुसलमानों में वोटिंग का पैटर्न बिल्कुल अलग है। चुनाव में मुस्लिम मतदान तमाम तरह के फैक्टर पर निर्भर करता है। लेकिन पत्रकार यूसुफ अंसारी का अपना आकलन है कि भाजपा पसमांदा मुसलमानों पर चुनाव 2024 के नजरिए से नजर गड़ाए हुए है।
क्या मुसलमानों से वोट नहीं बँटने देने की ममता बनर्जी की अपील चौथे चरण के मतदान का सबसे बड़ा फैक्टर बन कर उभरेगी? क्या 40 प्रतशित से अधिक मुसलिम मतदाता एकजुट होकर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को वाकई वोट देंगे?
एक ऐसे समय में जब इंडियन सेक्युलर फ़्रंट नामक एक नई पार्टी मुसलमानों के वोटों में सेंध लगाने की तैयारी कर रही है, ममता का अल्पसंख्यक समुदाय से कम उम्मीदवारों को उतारना क्या पार्टी के लिए घातक नहीं होगा?