बहुध्रुवीय विश्व की वकालत करने वालों के नायक अब तानाशाह हो गए हैं और वे ग्लोबल फासीवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। इनकी भाषा को समझिए। लोकतंत्र पर हमला अब साम्राज्यवाद के खिलाफ जंग की शक्ल में पेश किया जा रहा है। एक्टिविस्ट कविता कृष्णन के इस लेख को पढ़ने से आपको लोकतंत्र के नाम पर की जा रही तानाशाही की वकालत को समझने का नया नजरिया मिलेगा। जरूर पढ़िएः