मनोहर पर्रीकर संघ के थे, लेकिन उनमें वह कट्टरता नहीं दिखती थी, जो कई अन्य में दिखाई देती है। एक मायने में वह वाजपेयी और मोदी का मिश्रण थे। वाजपेयी जैसा सबको साथ लेकर चलने का हुनर और मोदी जैसी राजनीतिक चतुराई।
मनोहर पर्रीकर की 25 वर्षों की लंबी राजनीतिक पारी के बाद गोवा में अब क्या होगा, यह सवाल बीजेपी ही नहीं राज्य के सामने भी खड़ा है। आशंका है कि यह सरकार भी जल्द संकट में घिर जाएगी।