यूपी में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और महाराष्ट्र में वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) दलित राजनीति का चेहरा बन गई थीं। लेकिन इस आम चुनाव में दोनों का सबसे बदतर प्रदर्शन रहा। इनके हारने और कमजोर होने से दलित राजनीति के भविष्य को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। इन्ही सवालों को तलाशती यह रिपोर्टः
उभरते हुए दलित नेता चंद्रशेखर आजाद पर हमले का मकसद अभी साफ नहीं है, यह बात यूपी के डीजीपी (कानून व्यवस्था) ने कही है। लेकिन चंद्रशेखर एक उभरते हुए दलित नेता हैं। इसलिए तमाम आशंकाएं भी हैं। अपने साप्ताहिक कालम में पत्रकार वंदिता मिश्रा का सीधा सवाल है कि कहीं ये दलित राजनीति को खत्म करने की कोशिश तो नहीं है।
भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर पर हमला करने वालों में हरियाणा का युवक भी शामिल है। हमले का मकसद अभी तक साफ नहीं है। यूपी सरकार ने अब चंद्रशेखर को सुरक्षा मुहैया कराने की घोषणा की है। यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने आजाद को अपना दोस्त बताया है।
भोपाल में हाल ही में करणी सेना ने आरक्षण विरोधी शक्ति प्रदर्शन किया था। अब उसके जवाब में उसी भोपाल में भीम आर्मी ने आरक्षण के समर्थन में आज रविवार को जोरदार शक्ति प्रदर्शन किया। इस मौके पर भीम आर्मी के राष्ट्रीय प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि दलित, आदिवासी और पिछड़े भी अब चुनाव मैदान में उतरेंगे।
दलितों पर अत्याचार लगातार बढ़ रहे हैं, मगर दलित राजनीति ठंडी पड़ी हुई है और दलित नेता कहीं नज़र नहीं आ रहे। क्या है इसकी वज़ह है? क्या दलित राजनीति का दौर ख़त्म हो गया है? सत्यहिंदी वेबिनार में इस बार भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद से बेबाक बातचीत