बैंगलोर स्थित एआई तकनीक विशेषज्ञ द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट ने भारतीय न्यायपालिका की निष्पक्ष और ईमानदार कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जिन्हें कानून का पालन करना चाहिए, वे पैसे लेकर न्याय का सौदा करने में व्यस्त हैं
क्या पत्नी की प्रताड़ना और सिस्टम से नाउम्मदी इस हद तक पहुँच सकती है कि मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले शख्स को आत्महत्या करनी पड़ जाए? इतनी पीड़ा कि 1.21 घंटे का वीडियो बनाये, 24 पेज का लेटर लिखे और फिर सब ख़त्म....?