भीमा कोरेगांव मामले में क़रीब पाँच साल पहले हिरासत में लिए गए एक्टिविस्ट वर्नोन गोंसाल्वेस, अरुण फरेरा को बड़ी राहत मिली है। जानिए, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को क्या फ़ैसला दिया।
क्या असहमति के बिना लोकतंत्र संभव है? इस पर सरकारें भले ही घालमेल करती हों, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने साफ़ संदेश दिया है कि असहमति लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।