सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच में आज 11 जुलाई से आर्टिकल 370 और 35 ए को खत्म किए जाने पर सुनवाई होगी। संविधान के इन दोनों आर्टिकल के जरिए जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा हासिल था। लेकिन केंद्र सरकार ने इसे रद्द कर जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश में विभाजित कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच में 11 जुलाई से आर्टिकल 370 और 35 ए को खत्म किए जाने पर सुनवाई होगी। संविधान के इन दोनों आर्टिकल के जरिए जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा हासिल था। लेकिन केंद्र सरकार ने इसे रद्द कर जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश में विभाजित कर दिया।
जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी अब सारा ज़ोर कश्मीरियों का दिल जीतने में लगा रहे हैं। उन्होंने कई आश्वासन दिए और वादे किए, लेकिन क्या वह उनका दिल जीत पाएँगे?
क्या लोकतंत्र का अर्थ बहुमत की तानाशाही है? क्या बहुमत जो खाता-पीता है, जैसे रहता-जीता है, जैसे पूजा-अर्चना करता है, वही सारे देश को करना होगा? पढ़िए, 8 अगस्त 2019 को लिखी नीरेंद्र नागर की टिप्पणी।
5 अगस्त 2019 को संसद में संकल्प में अमित शाह ने पूरा अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की बात नहीं की और केवल 2 और 3 को समाप्त करने की बात क्यों की? जानें क्या क़ानूनी उलझन थी? पढ़ें 4 साल पहले छपी यह रिपोर्ट।
अनुच्छेद 370 में मिले अधिकारों के तहत राष्ट्रपति ने इस अनुच्छेद के खंड एक को छोड़कर बाक़ी प्रावधानों को ख़त्म किया है। यानी एक खंड अभी भी है। ऐसे में अनुच्छेद 370 ख़त्म कैसे हुआ? क्या यह सिर्फ़ शुरुआत भर नहीं है? क्या है वास्तविक स्थिति? आशुतोष की बात में देखिए शैलेश और आशुतोष की चर्चा।
गृह मंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाने के लिए राज्यसभा में प्रस्ताव पेश कर दिया। पर सवाल यह है कि क्या सरकार इसके बाद की स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है?