कुम्भ में जूना अखाड़े में लाइट का काम देखने वाले मुल्ला जी महमूद लाइट वाले के साथ ‘सत्य हिंदी’ की विशेष बातचीत
मैं नमाज़ पढ़ता हूँ तो संत महाराज इंतजार में खड़े रहते हैं : मुल्ला महमूद
- समाज
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- 18 Jan, 2019

कुंभ में लाइट का काम देख रहे मुज़फ़्फरनगर के मुल्ला जी महमूद आजकल ख़बरों में हैं। जूना अखाड़े के साथ उनका साथ 22 साल पुराना नाता है। मुल्ला जी कुंभ में साधुओं के तंबू रोशन कर रहे हैं।
कुम्भ में लाइट का काम देख रहे मुज़फ़्फरनगर के मुल्ला जी महमूद आजकल ख़बरों में हैं। जूना अखाड़े के साथ उनका साथ 22 साल पुराना नाता है। साल 2013 में दंगे का दंश झेलने के बावजूद मुज़फ़्फरनगर के मुल्ला जी कुम्भ में साधुओं के तम्बू रोशन कर रहे हैं। अपने अनुभवों को साझा करते हुए वह कहते हैं-
‘इशा (रात में पढ़ी जाने वाली) की नमाज़ देर तक पढ़ी जाती है। इसमें चार फ़र्ज़ सहित तीन वित्र ज़रूरी होते हैं। सामान्यत: इसमें बीस मिनट से आधे घण्टे का समय लगता है। यही वक़्त रोशनी की ज़रूरत का वक़्त है। बिजली ख़राब हो जाए तो कैम्प में अंधेरा हो जाता है। मैं नमाज़ में होता हूँ और महाराज जी मेरे तम्बू में आ जाते हैं। जब तक मैं नमाज़ पढ़ता हूँ वह खड़े रहते हैं। मेरे सलाम फेरने (नमाज़ पूर्ण होने की एक प्रक्रिया) के बाद वह मेरे नज़दीक आते हैं। मेरे पास बैठकर धीरे से कहते हैं। बिजली ख़राब हो गई है। मैं उनके साथ जाता हूँ। बिस्मिल्लाह (ईश्वर के नाम से शुरू करता हूँ) कहकर काम शुरू करता हूँ।’