देश को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रगुज़ार होना चाहिए कि आख़िरकार दस साल बाद ही सही उनकी प्रेरणा से लोग बुद्धि के बारे में बात कर रहे हैं। पिछले दस वर्षों से भारतीय समाज और देशी मीडिया बुद्धि से परहेज कर रहे थे, उससे सुरक्षित दूरी बरत रहे थे। उन्होंने बौद्धिक कार्य-कलापों को लगभग बंद कर दिया था और आठों पहर बुद्धिहीनों की तरह व्यवहार कर रहे थे। बुद्धुओं का महिमागान उनका प्रिय शगल और टाइम पास बन गया था। मगर अब महामना की बदौलत वे बढ़-चढ़कर बुद्धि पर बात कर रहे हैं।