राहुल गाँधी को लेकर आजकल कुछ लोग नाराज़ है। ये वो लोग है जो मोदी और आरएसएस को देश के लिए एक बडा ख़तरा मानते हैं। इन लोगों को लगता है कि राहुल गांधी भी हिंदुत्व के रास्ते पर चल रहे हैं, वे जिस तरह से मंदिर-मंदिर टहल रहे हैं, जनेऊधारी होने की बात कर रहे हैं, अपना गोत्र बता कर खुद को ब्राह्मण साबित करने में लगे हैं और मध्य प्रदेश, राजस्थान के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के घोषणापत्र में हिन्दूवादी मुद्दों को तरजीह दे रहे है वह ‘नरम हिंदूवाद’ है यानी सॉफ़्ट हिंदुत्व’ है। सत्यहिंदी.कॉम के संस्थापक क़मर वहीद नक़वी तो इतने गरम हो गए कि उन्होंने यह भी कह दिया कि राहुल आरएसएस के अजेंडे को फ़ॉलो कर रहे हैं। नक़वी साहब देश के अत्यंत सम्मानित संपादकों में से हैं। उनका लिखना मायने रखता है।

आज देश को गाँधीजी के हिन्दूवाद की ज़रूरत है। जो प्रेम सिखाए, संघ परिवार की तरह नफ़रत न फैलाए। मैं यह नहीं कहता कि राहुल गाँधी महात्मा गाँधी हो गए हैं। क़तई नहीं। वह रास्ता कोई नहीं चल पाएगा। पर नफ़रतवादी हिंदुत्व के बरक्स प्रेमवादी हिंदूवाद को लोगों के सामने रखना होगा। आख़िर हिंदू धर्म सिर्फ़ आरएसएस की बपौती कैसे हो सकती है?
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।