6 दिसंबर 1992 की तारीख़ भारतीय राजनीति में एक बड़े बदलाव की तारीख़ है। इसी दिन अयोध्या में विवादित ढाँचे/बाबरी मसजिद को ढहाया गया था। आप इस मुद्दे पर जिस भी पाले में खड़े हों, लेकिन इससे इनकार नहीं कर सकते कि इस तारीख़ ने भारत की राजनीति को एक नई दिशा में मोड़ दिया। अब यह दिशा देश के लिए अच्छी है या बुरी, इस पर बहस अब तक जारी है। यह राजनीति ही है जिसने अयोध्या मुद्दे का कोई सौहार्दपूर्ण हल नहीं निकलने दिया। मंदिर-मसजिद के मुद्दे से यह मसला साम्प्रदायिकता बनाम धर्मनिरपेक्षता का बन गया। 26 साल बाद एक बार यह मुद्दा फिर से राष्ट्रीय विमर्श के केंद्र में आ गया है या कहना ज़्यादा सही होगा कि इसे फिर से विमर्श के केंद्र में लाने का प्रयास हो रहा है।