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कांग्रेस नेतृत्व तक संदेश पहुँचाने के लिए मीडिया में जाने को मजबूर हैं थरूर?

शशि थरूर मामले में कांग्रेस में बवाल क्यों है? पार्टी में संवाद की कमी है या नेतृत्व ही नकारा है? कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता रहे संजय झा ने इस पूरे मामले में कांग्रेस पार्टी और नेतृत्व को कटघरे में खड़ा किया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि शशि थरूर को अपना संदेश पार्टी नेतृत्व तक पहुँचाने के लिए मीडिया से बात करने को मजबूर होना पड़ रहा है।

संजय झा ने सीधे राहुल गांधी को संबोधित करते हुए लिखा है, 'मैं आपको यहां सार्वजनिक रूप से लिख रहा हूं क्योंकि कांग्रेस के भीतर शायद कोई भी आपको यह नहीं बताएगा। इसलिए हमेशा की तरह, मुझे बिल्ली के गले में घंटी बांधने दें।' उन्होंने राहुल गांधी को नेतृत्व का मतलब समझाया है और एक तरह से संकेतों में कहा है कि कैसे उनका नेतृत्व लीडरशिप के मोर्चे पर पूरी तरह विफल रहा है।

संजय झा ने इस पोस्ट में साफ़-साफ़ लिखा है, 'नेतृत्व (कॉर्पोरेट या राजनीतिक या कोई अन्य) मुश्किल बातचीत करने के बारे में है। यह समस्या हल के बारे में है। यह हर चीज को खारिज करने के बारे में नहीं है; समस्याओं का समाधान किया जाना चाहिए, उनसे दूर नहीं भागा जा सकता है।'

उन्होंने लिखा है, "आप और मैं दोनों जानते हैं कि शशि (थरूर) एक बेहतरीन सांसद हैं। वह शायद देश के उन चंद लोगों में से हैं जिन पर यह कहावत सच में ठीक बैठती है, 'उन्हें किसी परिचय की ज़रूरत नहीं है'। इसलिए यह निराशाजनक है कि एक बार फिर पार्टी की एक बड़ी संपत्ति को आप या कांग्रेस नेतृत्व तक अपना संदेश पहुँचाने के लिए मीडिया से बात करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। आज से लगभग पांच साल पहले, जब मैं इसी तरह की स्थिति में था, तो मुझे एक राष्ट्रीय समाचार पत्र में एक लेख लिखने के लिए मजबूर होना पड़ा था। कोई भी ऐसी समस्या नहीं जिसका समाधान नहीं हो। मुख्य सवाल यह है कि क्या हममें सभी के हित में उन्हें हल करने की इच्छाशक्ति है? और वह भी जल्दी से।"

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संजय झा की यह टिप्पणी तब आई है जब शशि थरूर को लेकर कांग्रेस में तहलका मचा है। कांग्रेस से उनके मतभेद की ख़बरों के बीच थरूर ने एक दिन पहले ही कहा है कि अगर पार्टी को उनकी ज़रूरत नहीं है तो उनके पास विकल्प हैं। हालाँकि उन्होंने यह साफ़ नहीं किया है कि आख़िर वे विकल्प किस रूप में हैं। उन्होंने यह साफ़ नहीं किया कि वह किसी अन्य राजनीतिक पार्टी के संदर्भ में कह रहे थे या फिर गैर-राजनीतिक विकल्प के बारे में। 
कांग्रेस जहाँ पीएम मोदी की दिन-रात आलोचना कर रही है वहीं शशि थरूर ने उनकी तारीफ़ की है। कांग्रेस जहाँ एलडीएफ़ की खिंचाई कर रही है वहीं थरूर उसकी तारीफ़ कर रहे हैं।

दरअसल, थरूर ने हाल ही में वामपंथी एलडीएफ सरकार की तारीफ़ करते हुए एक लेख लिखा था। इस पर केरल कांग्रेस से तीखी प्रतिक्रिया हुई। विवाद बढ़ा तो मामला हाईकमान तक पहुँचा। राहुल गांधी ने थरूर को केरल में एलडीएफ सरकार द्वारा उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए प्रशंसा करने वाले उनके लेख पर विवाद के बाद बैठक के लिए बुलाया था। उस बैठक में क्या हुआ, उसके बारे में ज़्यादा जानकारी सामने नहीं आई है। 

कहा जा रहा है कि तिरुवनंतपुरम से चार बार के सांसद शशि थरूर नाराज़ और आहत हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए वामपंथी एलडीएफ सरकार की तारीफ़ करने के लिए थरूर को कांग्रेस पार्टी की केरल इकाई की ओर से लगातार आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। 

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हाल ही में थरूर ने पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा और ट्रंप से उनकी मुलाक़ात की तारीफ़ की थी। जहाँ राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे सहित पूरी कांग्रेस पीएम मोदी की यात्रा पर सवाल उठा रही है और आलोचनाएँ कर रही है, वहीं थरूर ने तारीफ़ की।

अपने लेख के बारे में केरल में कांग्रेस नेताओं की ओर से लगातार आलोचना के बारे में पूछे जाने पर, थरूर ने इंडियन एक्सप्रेस के मलयालम पॉडकास्ट में कहा कि वे विवाद का कारण समझ नहीं पा रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में उन्हें दरकिनार किए जाने की शिकायत की है, थरूर ने कहा, 'मैंने कभी किसी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की।' उन्होंने कहा कि केरल में वाम मोर्चा सरकार की प्रशंसा करने वाले उनके लेख पर विवाद ने कुछ अच्छा किया है क्योंकि इसने इस मुद्दे पर चर्चा की गुंजाइश खोली। 

पार्टी बदलने के बारे में कयासों का खंडन करते हुए थरूर ने कहा कि अगर वह पार्टी में कुछ बातों से सहमत नहीं है तो वह पार्टी बदलने में विश्वास नहीं करते हैं।

उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि ऐसा करना सही होगा। किसी को पार्टी से बाहर रहने, स्वतंत्र रहने की स्वतंत्रता है।' फिर उन्होंने तुरंत कहा, 'आज की राजनीति में मैं जो देख रहा हूँ वह यह है कि हर कोई चाहता है कि कोई पार्टी या संगठन उसका समर्थन करे।'

शशि थरूर को लेकर हुए इसी विवाद के बीच संजय झा ने राहुल गांधी को सार्वजनिक तौर पर एक पोस्ट लिखी है और पार्टी के लिए कड़वे सुझाव दिए हैं। 

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संजय झा ने कहा है, 'कांग्रेस को बीजेपी से मुक़ाबला करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, लेकिन इसके लिए एक शर्त यह है कि पहले घर को व्यवस्थित किया जाए। यह वर्षों तक चलने वाली एक अनसुलझी चुनौती नहीं बन सकती क्योंकि यह कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों की ऊर्जा और प्रेरणा को पंगु बना देती है। चुनौती देने वाली पार्टी को तेज, जोखिम उठाने वाली, भूखी और लगातार शिकार करने वाली होनी चाहिए। यह निश्चित रूप से ऐसा नहीं हो सकता है कि पहले की तरह चलने दें।'

उन्होंने कहा, 'हमें आगे बढ़ने के लिए ऐसी बात कहनी चाहिए जो बिलकुल सही हो, लेकिन अभी ऐसा लगता है कि हम इसका उलटा कर रहे हैं। मुझे यक़ीन है कि पार्टी और आप इसे जल्द ही सुलझा लेंगे।'

(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है।)

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क़मर वहीद नक़वी
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