नारायण राणे कभी भी महान या कर्तव्यनिष्ठ नहीं थे। शिव सेना में रहते हुए उनका नाम हुआ। वह भी सत्ता की सीढ़ियां तेजी से चढ़ने के चलते ही। यह सब शिव सेना की इन चार अक्षरों की कमाई है। राणे द्वारा शिव सेना छोड़ने के बाद शिव सेना ने उन्हें लोकसभा व विधानसभा मिलाकर चार बार बुरी तरह से पराजित किया।