लोकसभा चुनाव 2024 से पहले, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा, "मोदी जी खुद को महान मान कर, देश और लोकतंत्र की मर्यादा का चीरहरण कर रहे हैं। मोदी ने खुद को देश से ऊपर समझ लिया है।"
उन्होंने यह भी दावा किया कि भाजपा विपक्षी नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल होने की धमकी दे रही है।
4 अप्रैल को राज्यसभा सांसद के रूप में शपथ लेने के बाद यह पहली बार है कि सोनिया गांधी किसी चुनावी रैली को संबोधित कर रही हैं।
राजस्थान के जयपुर में रैली को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी ने कहा, "...आज देश का लोकतंत्र खतरे में है। ...हमारे संविधान को बदलने की साजिशें की जा रही हैं...हर तरफ अन्याय का अंधेरा है।"
सोनिया ने सभी भारतीयों का आह्वान करते हुए कहा कि सभी मतदाताओं को "न्याय की रोशनी की तलाश में" भाजपा के खिलाफ लड़ना चाहिए।
सोनिया गांधी ने कहा, "पिछले 10 वर्षों से हमारे देश में ऐसी सरकार का नेतृत्व रहा है जिसने बेरोजगारी, महंगाई, भेदभाव और अत्याचार को बढ़ावा दिया। मोदी सरकार ने जो किया वह हम सभी के सामने है।"
रैली में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में डाले जाने वाले वोट ''देश के लोकतंत्र को बचाएंगे''। आप सोच रहे होंगे कि हमारा लोकतंत्र कितना खतरे में है। ऐसा इसलिए है क्योंकि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए जो बड़ी-बड़ी संस्थाएं बनाई गई हैं, वे कमजोर हो रही हैं, उनकी कमजोरी हो रही है। आज यह स्थिति है कि लोग मोदी पर भरोसा नहीं कर रहे हैं...''
राजस्थान में राह आसान नहीं
राजस्थान में कांग्रेस के लिए चुनौती बहुत कड़ी है। हाल ही में कांग्रेस यहां सत्ता से बाहर हो चुकी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी 25 सीटें जीत ली थीं। लेकिन विधानसभा चुनाव में हार गई थी। अब 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा राज्य की सत्ता में आ गई। लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान अशोक गहलोत और सचिन पायलट के आपसी संघर्ष से कांग्रेस को बहुत नुकसान पहुंचा। हालांकि भाजपा खेमे में वसुंधरा राजे सीएम नहीं बनाए जाने से अभी भी नाराज हैं। लोकसभा चुनाव में वो पार्टी की कितनी मदद करती हैं, उसी पर भाजपा के नतीजे ज्यादा निर्भर करेंगे। कांग्रेस शनिवार की रैली से काफी उत्साहित है।इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि राजस्थान में कांग्रेस को अजीब स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के कई दिग्गज और बड़े नाम अन्य राज्यों में चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, लेकिन जब राजस्थान की बात आती है तो कांग्रेस के दिग्गज अभी तक सीन से गैरहाजिर हैं।
मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल चुनाव मैदान में हैं। लेकिन राजस्थान में, जमीनी स्तर से शोर के बावजूद, अशोक गहलोत, सचिन पायलट और जितेंद्र सिंह जैसे बड़े नेता चुनाव की दौड़ से दूर हैं। इस वजह से कांग्रेस पार्टी के पास कम चर्चित चेहरों और कुछ मामलों में तो एकदम नए चेहरों पर भी निर्भर रहने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। हालांकि राजस्थान के बड़े नेता संगठन की जिम्मेदारियां मिलने की बात कह रहे हैं।
हाल ही में दिल्ली में राजस्थान के लिए कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में, पूर्व सीएम गहलोत विशेष रूप से अनुपस्थित थे। इसके बावजूद समिति ने गहलोत की पसंद के मुताबिक उनके बेटे वैभव को जोधपुर की बजाय जालौर से मैदान में उतारने का फैसला किया. बैठक के दौरान इस कदम पर चर्चा हुई, जहां गहलोत और पायलट दोनों विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में मौजूद थे।
ऐसा लगता है कि पायलट छत्तीसगढ़ के प्रभारी महासचिव के रूप में अपनी जिम्मेदारियों के कारण चुनावी दौड़ से हट गए हैं। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने कथित तौर पर कांग्रेस नेतृत्व को सूचित किया है कि वह व्यक्तिगत रूप से चुनाव लड़ने के बजाय पूर्वी राजस्थान में चार सीटों पर पार्टी की स्थिति मजबूत करने और छत्तीसगढ़ में सीटें बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
कांग्रेस को शर्मिंदगी का भी सामना करना पड़ा क्योंकि उसने उचित पृष्ठभूमि की जांच किए बिना सुनील शर्मा जैसे नए लोगों को मैदान में उतारा। जयपुर में, कांग्रेस को 'राहुल गांधी की आलोचना' के लिए मशहूर दक्षिणपंथी मंच 'द जयपुर डायलॉग्स' से जुड़े होने पर विरोध के बाद सुनील शर्मा को हटाना पड़ा।
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