हरियाणा के समाना में मीडिया को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि 'भारत जोड़ो यात्रा' को हर जगह जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। उन्होंने एक बार फिर कहा कि यह यात्रा भय, नफरत, महंगाई, बेरोजगारी के ख़िलाफ़ है। इस यात्रा के साथ ही उन्होंने कांग्रेस पार्टी को तपस्या से जोड़ा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी 'तपस्या' का संगठन है, जबकि बीजेपी 'जबरन पूजा' का।
भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना साधते हुए राहुल ने कांग्रेस के 'तपस्या का संगठन' के विपरीत उन्हें 'पूजा का संगठन कहा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें 'कांग्रेस के सत्ता में आने में कोई दिलचस्पी नहीं है' बल्कि इस बात में अधिक दिलचस्पी है कि उन राज्यों में वह अपने कार्यकाल के दौरान क्या करती है जहां इसकी सरकार है।
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राहुल ने संवाददाताओं से कहा, 'अगर कांग्रेस तपस्या करती है, तो हमें ताक़त मिलती है। वे अपनी पूजा से ताक़त पाते हैं। पूजा दो प्रकार की होती है - मैं भगवान के पास जाता हूँ और उनसे कुछ माँगता हूँ, लेकिन पहल उस व्यक्ति की होती है जो पूजा करता है। आरएसएस की पूजा अलग है। आरएसएस चाहता है कि जबरन उनकी पूजा हो। मोदी जी चाहते हैं कि ... सब लोग जबरन उनकी पूजा करें। इसका जवाब तपस्या ही हो सकता है। इसलिए यह यात्रा सफल है। इस यात्रा में एक व्यक्ति तपस्या नहीं कर रहा है, लाखों लोग कर रहे हैं।'
उन्होंने कहा कि "संस्थाओं पर कब्जा करके, हर किसी में भय पैदा करके, मीडिया में भय पैदा कर आरएसएस और भाजपा इस देश को जबरन पूजा के रास्ते पर ले जा रहे हैं। इसलिए प्रधानमंत्री आप सबके सामने नहीं आ रहे हैं। कोई उनसे अजीब सा सवाल पूछ सकता है।"
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में गीता का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा, "जब अर्जुन मछली की आंख पर निशाना लगा रहे थे तो उन्होंने ये नहीं कहा कि निशाना लगाने के बाद वो क्या करेंगे। गीता में कहा गया है - 'कर्म करो, फल की चिंता न करो'।"
गीता में कहा गया है - 'कर्म करो, फल की चिंता न करो'
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जब अर्जुन मछली की आंख पर निशाना लगा रहे थे तो उन्होंने ये नहीं कहा कि निशाना लगाने के बाद वो क्या करेंगे।
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यात्रा के उद्देश्य के बारे में और यह पूछे जाने पर कि क्या इससे उनकी पार्टी की संस्कृति में बदलाव आया, राहुल ने कहा, "मैं समझ गया हूं कि यह लड़ाई राजनीतिक लड़ाई नहीं है। सतही तौर पर यह एक राजनीतिक लड़ाई है। आज देश में परिवर्तन हो रहा है। जिस दिन से आरएसएस ने इस देश की संस्थाओं पर कब्जा किया है, यह लड़ाई राजनीतिक नहीं रह गई है। यह अब एक और लड़ाई है। आप इसे विचारधारा या धर्म की लड़ाई कह सकते हैं, लेकिन यह अब राजनीतिक लड़ाई नहीं है।”
रोजगार के सवाल पर कांग्रेस नेता ने कहा, 'रोजगार कहां से आएगा? जब हम दूसरी हरित क्रांति लेकर आएंगे, कृषि को बढ़ावा देंगे, फूड प्रोसेसिंग फैक्ट्रियों के जाल बिछाएंगे। इससे करोड़ों लोगों को रोजगार मिल सकता है।'
राहुल ने कहा कि यात्रा भारत को तोड़ने के खिलाफ है। उन्होंने कहा, 'इस यात्रा का एक और उद्देश्य है। यह मेरा व्यक्तिगत उद्देश्य भी है। हम इस यात्रा को तपस्या के रूप में देख रहे हैं। हम अपने देश से प्यार करते हैं, हम अपने देश के लोगों से प्यार करते हैं। इस यात्रा का उद्देश्य लोगों को भारत की सच्ची आवाज सुनाना है। मैं यह नहीं कह सकता कि इससे राजनीतिक लाभ होगा या नहीं। हमारा उद्देश्य भारत को एक करना है, नफरत के खिलाफ लड़ना है। इस देश में हो रही आर्थिक असमानता, इस देश की संस्थाओं, मीडिया को नियंत्रित करने वाले तीन-चार-पाँच लोग; बढ़ती बेरोजगारी, यह यात्रा इन सबके ख़िलाफ़ है। लोग जानते हैं कि इसी वजह से इस देश की बहुसंख्यक संपत्ति तीन-चार लोगों के हाथ में है, जिससे बेरोज़ग़ारी बढ़ रही है। इसके ख़िलाफ़ लोगों की आवाज़ उठाना इस यात्रा का उद्देश्य है।'
उन्होंने दोहराया कि उन्हें भाजपा द्वारा पेश की जा रही उनकी छवि की चिंता नहीं है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'राहुल गांधी आपके दिमाग में है। मैंने उसे मार दिया। वह अब मेरे दिमाग में नहीं है। आप जिस व्यक्ति को देख रहे हैं, वह राहुल गांधी नहीं है। वह आपको ही दिखाई देता है। राहुल गांधी आपके दिमाग में है। वह बीजेपी के दिमाग में है। वह मेरे दिमाग में नहीं है। मुझे अपनी छवि से कोई लेना-देना नहीं है। मुझे इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। आप इसे अपनी इच्छानुसार प्रोजेक्ट कर सकते हैं। मैं बस अपना काम कर रहा हूँ।'
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