loader

सरकार की नीति कौन तय कर रहा, एक भाजपा सांसद या पीएम: राहुल

तीन कृषि क़ानूनों को फिर से ज़िंदा करने के बीजेपी सांसद कंगना रनौत के बयान ने तूल पकड़ लिया है। लोकसभा में विपक्ष के नेता ने अब सीधे पीएम मोदी से सफ़ाई देने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि पीएम मोदी के एक सांसद ने तीन कृषि काले क़ानून को फिर से लाने की बात कही है। राहुल ने कहा, 'प्रधानमंत्री जी, आप सफाई दीजिए कि आप इसके ख़िलाफ़ हैं या फिर से आप बदमाशी कीजिएगा?'

कंगना रनौत के बयान पर एक वीडियो बयान जारी कर राहुल गांधी ने कहा है, 'ये बीजेपी के लोग आइडिया को टेस्ट करते रहते हैं। ये किसी से कहते हैं कि ये आइडिया पब्लिक में रखिए और फिर रिएक्शन देखते हैं। यही हुआ है...।' उन्होंने कहा, 'इंडिया हमारे अन्नदाताओं के विरुद्ध भाजपा का कोई भी षडयंत्र कामयाब नहीं होने देगा - अगर किसानों को नुक़सान पहुंचाने के लिए कोई भी क़दम उठाया जाएगा तो मोदी जी को फिर से माफी मांगनी पड़ेगी।'

राहुल का यह बयान तब आया है जब भाजपा सांसद कंगना रनौत ने कुछ दिन पहले केंद्र सरकार से 2021 में निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों को फिर से लागू करने के लिए आग्रह किया है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले कंगना रनौत के बयान पर काफ़ी विवाद हो गया है और बीजेपी बैकफुट पर नज़र आ रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह साफ़ करना चाहिए कि उनकी सरकार कानून के खिलाफ है या नहीं।

एक वीडियो संदेश में राहुल ने निरस्त कृषि क़ानूनों पर प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार के रुख पर सवाल उठाया, साथ ही यह भी जानना चाहा कि क्या इसे पुनर्जीवित किया जाएगा। उन्होंने कहा, '700 से ज़्यादा किसानों, ख़ासकर हरियाणा और पंजाब के किसानों की शहादत के बाद भी भाजपा के लोग संतुष्ट नहीं हैं।'

ताज़ा ख़बरें
कंगना रनौत ने किसानों से प्रधानमंत्री से 2020 के निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों को फिर से लागू करने के लिए कहने का आग्रह करते हुए अपनी टिप्पणी से एक और विवाद खड़ा कर दिया था। सोमवार को कंगना ने कहा था कि ये क़ानून किसानों की भलाई के लिए बनाए गए हैं। उन्होंने कहा, 'मेरा मानना ​​है कि निरस्त किए गए कृषि कानूनों को वापस लाया जाना चाहिए। मैं समझती हूं कि यह विवादास्पद हो सकता है, लेकिन मुझे लगता है कि इन किसान-कल्याण के लिए प्रतिबद्ध क़ानूनों को वापस लाया जाना चाहिए। किसानों को खुद इन क़ानूनों की मांग करनी चाहिए। जिस तरह अन्य क्षेत्रों के किसान लाभान्वित हो रहे हैं, वैसे ही उनके विकास में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए।'
कंगना ने तीनों कृषि कानूनों की तुलना प्रस्तावित 'एक देश एक चुनाव' से भी की। उन्होंने कहा, "किसान हमारे देश का एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। जिस तरह 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पहल से नौकरशाहों और सरकारी कर्मचारियों को लाभ होगा, जिन्हें अक्सर चुनाव ड्यूटी पर जाना पड़ता है, उसी तरह किसानों को भी तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग करनी चाहिए, जिसका विरोध केवल कुछ राज्यों ने किया था। मैं उनसे हाथ जोड़कर इन कानूनों को फिर से लागू करने की मांग करती हूं।" 
राजनीति से और ख़बरें

कंगना के बयान की किसान यूनियनों और बीजेपी सहित अन्य राजनीतिक दलों ने तीखी आलोचना की थी। भाजपा की ओर से मंगलवार देर रात सफाई आई कि वो इस बयान से सहमत नहीं है और न ही कंगना को पार्टी की ओर से इस तरह का बयान देने का अधिकार है।

बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा, 'सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर केंद्र सरकार द्वारा वापस लिए गए कृषि बिलों पर बीजेपी सांसद कंगना रनौत का बयान वायरल हो रहा है। मैं साफ कर देना चाहता हूं कि ये बयान उनका निजी बयान है। कंगना रनौत बीजेपी की ओर से ऐसा बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं और यह कृषि बिलों पर बीजेपी के नजरिये को चित्रित नहीं करता है। हम इस बयान को अस्वीकार करते हैं।' इसके बाद कंगना ने माफी वाला बयान जारी किया। 

कंगना ने बुधवार को अपना बयान वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि मेरे विचार पार्टी के रुख के विपरीत नहीं होने चाहिए। कंगना ने कहा, 'मुझे यह ध्यान रखना होगा कि मैं अब केवल एक फिल्म स्टार नहीं हूं, बल्कि भाजपा कार्यकर्ता भी हूं। मेरी पार्टी के विचार मेरे विचार होने चाहिए और मेरी राय पार्टी के रुख के विपरीत नहीं होनी चाहिए। अगर मेरी राय से किसी को ठेस पहुंची है तो मुझे खेद है और मैं अपने शब्द वापस लेती हूं।'

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

राजनीति से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें