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राहुल के घर बैठक में चुपके-चुपके क्यों आईं प्रियंका गाँधी?

प्रियंका गाँधी क्या मीडिया से छुप रही हैं? यदि ऐसा नहीं है तो वह क्यों राहुल के घर बैठक में चुपके-चुपके आईं, चुपके-चुपके ही चली गईं? इसकी जानकारी भी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इतनी ही दी कि वह बैठक में आई थीं। तो पूरा मामला क्या है?

दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर मैराथन बैठक में जुटे हुए हैं। मंगलवार को उन्होंने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के प्रभारी महासचिव को बुलाकर वहाँ के राजनीतिक हालात पर चर्चा की। उत्तर प्रदेश के राजनीतिक हालात पर चर्चा के लिए बुलाई गई बैठक में प्रियंका गाँधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हुए। डेढ़ घंटे चली बैठक में किन मुद्दों पर क्या चर्चा हुई इस बारे में पार्टी की तरफ़ से आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी गई। समझा जाता है कि बैठक में उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन के बाद कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं को लेकर चर्चा हुई। साथ ही इस बात पर भी चर्चा हुई कि प्रियंका और ज्योतिरादित्य सिंधिया किस तरह अपने-अपने क्षेत्रों में चुनावी रणनीति बनाएँगे ताकि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में बेहतर प्रदर्शन कर सके।

राहुल के घर बैठक की सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि प्रियंका गाँधी बैठक में शामिल होने के लिए चुपके-चुपके आईंं और इसी तरह ही वापस चली गईंं। इस बैठक की कवरेज के लिए खड़े मीडिया कर्मी कई घंटे तक इस सस्पेंस में रहे कि बैठक में प्रियंका हैं भी या नहीं।

बैठक के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस राज पर से पर्दा उठाया। बैठक के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया कि प्रियंका गाँधी भी बाकायदा बैठक में शामिल थींं। 

  • दरअसल, प्रियंका बैठक में शामिल होने के लिए राहुल के आवास 12ए, तुगलक लेन के मेन दरवाजे से न जाकर उनके घर के पीछे बने सर्वेंट क्वार्टर की गलियों से होते हुए बैठक में हिस्सा लेने पहुँची थींं। बैठक के बाद वह उसी रास्ते से वापस चली गईंं। 

बाद में प्रियंका की एक वीडियो क्लिप सामने आई जिसमें वह किसी घर में खड़े हुए बच्चों से बात कर रही हैं और वहाँ पर उन्हें पानी पीने के लिए कहा गया। उन्होंने जल्दी से पानी लाने की बात कही।

क्या मीडिया से बच रही हैं प्रियंका?

यह बात हैरान करने वाली है कि आख़िर प्रियंका कांग्रेस की महासचिव होने के बावजूद अपनी ही पार्टी के अध्यक्ष और अपने भाई के घर बैठक में हिस्सा लेने के लिए इस तरह चुपके-चुपके क्यों गईं? पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि प्रियंका ने यह कदम इस लिए उठाया कि वह मीडिया का सामना करने से बचना चाहती थींं। हो सकता है उन्हें यह डर रहा हो कि मीडिया कर्मी उनसे उनके पति राबर्ट वाड्रा के ख़िलाफ़ चल रही कार्रवाई के बारे में सवाल पूछ सकते हैं। या फिर यह हो सकता है कि वह बतौर महासचिव अपना कार्यभार संभालने से पहले मीडिया के सामने नहीं आना चाहती होंं। उन्हें पता है कि उनका छोटा से छोटा बयान भी टीवी चैनलों में दिन भर छाया रहता है और अगले दिन अख़बारों की सुर्खियाँ बनता है। 

प्रियंका गाँधी का चुपके-चुपके आने-जाने का यह अंदाज़ ऐसा है जैसे दो अलग-अलग पार्टियों के नेता गठबंधन के बारे में बात करने के लिए चुपके-चुपके मिलते हैं।

बैठक ख़त्म होने तक सस्पेंस बना रहा

उत्तर प्रदेश के राजनीतिक हालात और कांग्रेस की चुनावी रणनीति पर होने वाली इस बैठक को लेकर देर तक संशय बना रहा। पहले पार्टी की तरफ़ से बताया गया कि बैठक 5:30 बजे होगी। उस वक्त तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की बैठक चल रही थी। उसके बाद ख़बर आई कि बैठक 6:30 बजे शुरू होगी। 6:30 बजे भी बैठक शुरू नहीं हुई। इंतज़ार लगातार लंबा होता जा रहा था। क़रीब 7:15 बजे के ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी गाड़ी से राहुल गाँधी के घर पहुँचे। अब इंतज़ार था प्रियंका गाँधी का। अचानक एसपीजी वालों ने रास्ता रोका तो लगा कि शायद प्रियंका आने वाली हैं। तभी दो बड़ी गाड़ियाँ तो आईंं लेकिन दोनों गाड़ियाँ खाली थींं। एसपीजी की हरकत से यह तो तय था कि प्रियंका आ गई हैं। लेकिन खाली गाड़ियाँ देखकर सबको हैरत हुई। राहुल गाँधी के घर क़रीब डेढ़ घंटे तक बैठक चलती रही और बाहर मीडिया कर्मी इसी सस्पेंस में रहे कि प्रियंका बैठक में हैं या नहीं।

  • बैठक के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया बाहर निकले तो मीडिया कर्मियों ने उन्हें घेर लिया। कई बार पूछने के बाद उन्होंने बताया कि प्रियंका गाँधी बैठक में मौजूद थीं। 

सोनिया भी चुपके-चुपके मिली थीं मायावती से

प्रियंका के अंदाज़ ने 2004 के चुनाव से पहले सोनिया गाँधी और मायावती की मुलाक़ात की याद दिला दी है तब सोनिया गाँधी मायावती से मिलने उनके घर गई थीं लेकिन जैसे मीडिया को इस बात की ख़बर मिली कि मीडिया का जमावड़ा मायावती के घर लग गया। क़रीब 3 घंटे तक सोनिया गाँधी मायावती के घर में रहीं और मीडिया से बचने का प्रयास करती रहीं। उसके बाद जब हमें पता चला कि वह किसी दूसरे रास्ते से बाहर जाने की फिराक में हैं तो वहाँ भी हमने अपने कैमरे लगा दिए। सोनिया गाँधी जब दूसरे रास्ते से बाहर निकलीं तो कैमरे में कैद हो गईं। 

  • बाद में कांग्रेस के सामने कोई चारा नहीं बचा था कि वह इस मुलाक़ात की बात को कुबूल करे। उससे पहले कांग्रेस के नेता इस मुलाक़ात को लेकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थे। वह वीडियो अगर नहीं मिलता तो शायद कांग्रेस कभी इस बात को मानती ही नहीं कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी मायावती से गठबंधन के बारे में बात करने उनसे उनके घर गई थींं।

प्रियंका गाँधी काफ़ी मीडिया फ़्रेंडली हैं। मीडिया के सामने अपनी बात रखने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ती। पिछले 15 साल में कई ऐसे मौक़े आए जब उनके एक बयान पर राजनीति में हंगामा मच गया। ऐसे में उनका मीडिया से बचना, चुपके-चुपके अपनी पार्टी के अध्यक्ष के घर जाना कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है। जब प्रियंका गाँधी राजनीति में आ ही गई हैं और बतौर महासचिव पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान संभाल रही हैं, ऐसे में उनका मीडिया से दूरी बनाने की बात लोगों की समझ से परे है। ख़ुद कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि प्रियंका को इस तरह बैकफ़ुट पर आने के बजाय फ़्रंटफु़ट पर खेलना चाहिए। कई नेता कहते हैं कि एक बार प्रियंका को बतौर महासचिव कार्यभार संभालने दीजिए उसके बाद देखिए कि वह मोदी के चौकोंं और छक्कों का जवाब कैसे देती हैं। उनके इसी अंदाज़ का सबको इंतज़ार है।

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यूसुफ़ अंसारी
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