देश का राजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। विपक्षी दलों ने अपनी पहली एकजुटता बैठक पटना में की थी। तब तक भाजपा एनडीए को फिर से खड़ा करने के बारे में नहीं सोच रही थी और विपक्ष की एकजुटता और उनमें शामिल पार्टियों पर कटाक्ष कर रही थी। इस दौरान महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना के टूटने के बाद एनसीपी भी टूट गई। केंद्रीय गृह मंत्री ने अपनी दो रैलियों में आगामी लोकसभा चुनाव को पीएम मोदी बनाम राहुल गांधी बताया। लेकिन विपक्ष इन सब घटनाक्रमों से प्रभावित हुए बिना अपनी रणनीति में लगा रहा। इसमें कांग्रेस मुख्य भूमिका में है। उसने आम आदमी पार्टी तक से दूरियां मिटाने की कोशिश की। बेंगलुरु बैठक में शामिल होने वाली पार्टियों की तादाद अब 24 से 26 हो गई है।