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महाराष्ट्रः महायुति-एमवीए में विद्रोही सिरदर्द बने, भाजपा सबसे ज्यादा प्रभावित

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन के लिए विद्रोही मुसीबत बन गये हैं। इन विद्रोहियों में पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों को नुकसान पहुंचाने की क्षमता है। दोनों गठबंधनों ने कहा कि वे नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 4 नवंबर से पहले इन विद्रोहियों को बैठाने की कोशिश करेंगे। हालांकि भाजपा बागियों की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित है।

बगावत करने वाले कम से कम 50 उम्मीदवारों में से 36 तो महायुति से ही हैं जबकि बाकी एमवीए खेमे से हैं। विद्रोहियों में सबसे ज्यादा 19 विद्रोही भाजपा से हैं, 16 लोग शिवसेना शिंदे गुट और और सिर्फ एक एनसीपी अजित पवार की पार्टी से है। एमवीए में सबसे ज्यादा 10 बागी कांग्रेस से हैं और बाकी उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) से हैं। 14 एमवीए के बागी गठबंधन सहयोगियों के उम्मीदवारों ने कुर्ला, दक्षिण सोलापुर, परांडा, सांगोला और पंढरपुर निर्वाचन क्षेत्रों में नामांकन दाखिल किया है। कुछ मामलों में तो बागियों ने अपने परिवार के सदस्यों से भी नामांकन दाखिल करवाया है।

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पिछले हफ्ते दिल्ली में एक बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शिंदे और डिप्टी सीएम अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस को आंतरिक विद्रोह और अंदरूनी कलह को नियंत्रित करने के लिए कहा था। नामांकन बंद होने के बाद, फडणवीस ने कहा कि विद्रोहियों को अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा- “हम एक बड़ी पार्टी हैं और हमारे पास कई नेता हैं जो चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं। लेकिन गठबंधन में हमारी कुछ सीमाएं होती हैं और हम सभी को समायोजित नहीं कर सकते। लेकिन हम उनसे (विद्रोहियों से) बात करेंगे और उन्हें मना लेंगे। हमें यकीन है कि वे समझेंगे और अपना नामांकन वापस ले लेंगे।'' उन्होंने कहा कि कुछ सीटों पर दोस्ताना मुकाबला हो सकता है।

शिंदे की पार्टी के नौ बागी उन सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं जहां भाजपा ने उम्मीदवार उतारे हैं। जिनमें चार प्रमुख हैं- नवी मुंबई में ऐरोली, मुंबई के अंधेरी पूर्व (जहां पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा की पत्नी और बेटी ने नामांकन दाखिल किया है), जलगांव जिले में पचोरा और ठाणे जिले की बेलापुर जैसी सीटें हैं।

भाजपा के दस विद्रोही शिवसेना शिंदे को आवंटित सीटों पर सेना के खिलाफ उतर पड़े हैं। जिनमें रायगढ़ जिले में अलीबाग, कर्जत, बुलढाणा, मुंबई उपनगरीय जिले में बोरीवली और जालना शामिल हैं। भाजपा के बागी नौ सीटों पर एनसीपी अजित पवार के खिलाफ हैं जबकि शिवसेना शिंदे के बागी अजित पवार की पार्टी को आवंटित सात सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। एनसीपी के एकमात्र बागी ने नासिक जिले के नंदगांव से शिंदे गुट के उम्मीदवार के खिलाफ अपना पर्चा दाखिल किया है।

एमवीए में, कांग्रेस के चार-चार बागी हैं, जो ठाणे जिले की कोपरी पचपखाड़ी जैसी सीटों पर गठबंधन के आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ उतर पड़े हैं। शिवसेना (यूबीटी) के पास मुंबई उपनगर के मानखुर्द शिवाजी नगर में विद्रोही हैं, जहां से सपा के राज्य प्रमुख अबू आजमी उम्मीदवार हैं। इसी तरह मुंबई के वर्सोवा और बुलढाणा जिले के मेहकर में भी विद्रोही खड़े है। मुंबई के धारावी में जहां शहर कांग्रेस प्रमुख वर्षा गायकवाड़ की बहन ज्योति उम्मीदवार हैं, वहां भी विद्रोही खड़े हैं।

बाकी सीटों पर, कुछ पर एनसीपी (शरद पवार) के विद्रोहियों ने सेना (यूबीटी) या कांग्रेस के आधिकारिक एमवीए उम्मीदवारों के खिलाफ अपनी उम्मीदवारी दाखिल की है, जबकि बाकी सीटों पर एनसीपी (एसपी) को अपने अन्य सहयोगियों या भीतर से विद्रोहियों का सामना करना पड़ रहा है।

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एमवीए नेताओं ने विद्रोहियों से निपटने के लिए गुरुवार दोपहर को बैठक की थी। कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रभारी रमेश चेन्निथला ने कहा कि  “गुरुवार दोपहर को एमवीए नेताओं के बीच एक बैठक बुलाई गई। ताकि यह तय किया जा सके कि जहां विद्रोहियों ने नामांकन किये हैं, उन्हें मना लिया जाए। यदि कोई मतभेद हो तो उसे सुलझा लिया जाए। हम किसी भी तरह के दोस्ताना चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देंगे और सेना यूबीटी और एनसीपी (एसपी) के नेता हमारे साथ एकमत हैं। विद्रोहियों को अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए मनाने के लिए इसी तरह के प्रयास जारी हैं।“

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क़मर वहीद नक़वी
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