मध्य प्रदेश में 230 सीटों में से 163 सीटें बीजेपी को कैसे मिल गईं? क्या आपको लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर ही ये सीटें मिल गईं? या फिर शिवराज सिंह की लाड़ली बहना योजना या फिर पीएम की मुफ्त राशन योजना के दम पर या ऐसी ही सरकारी योजनाओं के दम पर ही?
यदि आपको ऐसा लगता है तो आपको फिर से विचार करने की ज़रूरत है। प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे और योजनाएँ तो जीत की एक वजह हो सकती हैं, लेकिन बीजेपी की तैयारी उससे कहीं अधिक जीत की वजह लगती है। मध्य प्रदेश में अमित शाह ने रणनीति बनाई। इसको लागू करने के लिए 40 लाख बूथ स्तर के कार्यकर्ता लगे। 10,916 शक्ति केंद्र बनाए गए। शक्ति केंद्र 6-8 बूथ स्तर के स्वयंसेवकों का एक समूह है। एससी/एसटी समुदायों से स्वयंसेवकों की भर्ती पर विशेष जोर दिया गया। समन्वय करने के लिए बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं द्वारा कुल 42,000 व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए। एक साल से तैयारी चल रही थी। पीएम तक ने निगरानी बैठकें लीं। प्रदेश के हर बूथ पर 51 फीसदी वोट लाने का टास्क दिया गया। बताइए, क्या नतीजा निकलेगा!
बीजेपी की रणनीति की ये बातें कोई हवा-हवाई नहीं हैं। मध्य प्रदेश में पार्टी की इस रणनीति के बारे में बीजेपी के ही नेताओं और रणनीतिकारों ने यह दावा किया है। मध्य पदेश में भाजपा प्रमुख वी डी शर्मा ने राज्य में पार्टी की बड़ी जीत की वजह बताई है।
उन्होंने बताया कि जिस राज्य में कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणियाँ की जा रही थीं वहाँ बीजेपी ने कैसे गुपचुप तरीके से अपनी रणनीति पर काम किया। शर्मा ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, '40 लाख बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं ने अमित शाह की रणनीति पर काम किया। यह उसी का परिणाम है। अमित शाह जी ने प्रदेश के हर बूथ पर 51 फीसदी वोट लाने का टास्क दिया था। हमारे कार्यकर्ताओं ने राज्य के 64,523 बूथों पर अथक परिश्रम किया और हमें उस लक्ष्य तक पहुंचने में मदद की।'
जनवरी 2022 से ही बीजेपी ने कम से कम 96 प्रतिशत निर्वाचन क्षेत्रों में बूथ समितियाँ बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया था।
एक अन्य बीजेपी नेता और राज्य भाजपा के सचिव रजनीश अग्रवाल ने कहा, 'इस काम के दौरान हमने अपने सभी बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के रिकॉर्ड को उनकी तस्वीरों के साथ डिजिटल कर दिया और बूथ स्तर पर कार्यों और हमारी योजनाओं के लाभार्थियों से संपर्क करने की रणनीतियों पर चर्चा की गई।' उन्होंने कहा कि हमने अपनी योजनाओं के लाभार्थियों, विशेष रूप से एससी, एसटी और अन्य समुदायों के साथ संपर्क साधा और उन्हें अपनी योजनाओं के बारे में याद दिलाते रहे। उन्होंने कहा कि हम चाहते थे कि जब वे बूथ पर (वोट देने) जाएं तो वे हमारी योजनाओं को याद रखें।
अग्रवाल ने कहा कि भाजपा की डबल इंजन सरकार की विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों की सूची तैयार की गई और गांववार और शहरों में वार्डवार वितरित की गई और बूथ कार्यकर्ताओं को उपलब्ध कराई गई।
इतना ही नहीं, पार्टी ने वैचारिक प्रशिक्षण कार्यशालाएँ आयोजित कीं। जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी के बारे में फीडबैक था। इस पर भी काम किया गया। बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को कई प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के दौरान 'सबसे पहले राष्ट्र' की विचारधारा के बारे में बताया गया। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अयोध्या और राम मंदिर ऐसे मुद्दे थे, जिनसे उन्हें एकजुट होने में मदद मिली। हर रविवार को बूथ कार्यकर्ताओं को पीएम की मन की बात सुननी होती थी और ऐप पर तस्वीरें पोस्ट करनी होती थीं।
पार्टी ने बूथ स्तर पर कई नए पद भी बनाए, जिनमें सोशल मीडिया प्रभारी, लाभार्थी प्रभारी और शक्ति केंद्र प्रभारी शामिल हैं। शक्ति केंद्र 6-8 बूथ स्तर के स्वयंसेवकों का एक समूह था। कुल 10,916 शक्ति केंद्र बनाए गए, जिससे पार्टी की पन्ना प्रमुख नियुक्तियों को बल मिला। एससी/एसटी समुदायों से कम से कम 10 स्वयंसेवकों की भर्ती पर विशेष जोर दिया गया।
नरसिंहपुर बीजेपी के उपाध्यक्ष रमाकांत धाकड़ ने कहा, 'हमें बड़ी संख्या में महिला स्वयंसेवक भी मिलीं। हमें आश्चर्य हुआ कि वे सभी लाडली बहनें थीं जो हमारी मदद के लिए स्वयं आई थीं। हमें तब पता था कि हम जीत रहे हैं।'
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